Osho Udghosh (ओशो उद्घोष)
- किसी साधक ने ओशो से पूछा - भ्रष्ट राजनेताओं से देश को छुटकारा कब मिलेगा? ओशो ने कहा - "बहुत कठिन है क्योंकि प्रश्न राजनेताओं से छुटकारे का नही है, प्रश्न तो तुम्हारे अज्ञान के मिटने का है ! तुम जब तक अज्ञानी हो, कोई न कोई तुम्हारा शोषण करता ही रहेगा ! कोई न कोई तुम्हे चूसेगा ही ! पंडित चूसेंगे, पुरोहित चूसेंगे, मुल्ला-मौलवी चूसेंगे, राजनेता चूसेंगे ! तुम जब तक जाग्रत नही हो, तब तक लुटोगे ही, फिर किसने लूटा, क्या फर्क पड़ता है? किस झण्डे की आड़ में लुटे, क्या फर्क पड़ता है? समाजवादियो से लुटे या साम्यवादियों से, क्या फर्क पड़ता है ! तुम तो लुटोगे ही ! लुटेरों के नाम बदलते रहेंगे और तुम लुटते रहोगे ! इसलिए ये मत पूछो कि भ्रष्ट राजनेताओं से देश का छुटकारा कब होगा? यह प्रश्न ही अर्थहीन है, ये पूछो कि मै कब इतना जाग सकूँगा ताकि झूठ को झूठ की तरह पहचान सकूँ? और जब तक सारी मनुष्य जाति झूठ को झूठ की भाँति नही पहचानती, तब तक छुटकारे का कोई उपाय नही है !
- notes
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
- 8 (see discussion for TOC)
editions
Osho Udghosh (ओशो उद्घोष)स्वस्थ भारत का मार्ग स्वस्थ राजनीति
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