Sheel Gandho Anuttaro (शील गंधो अनुत्तरो): Difference between revisions

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Latest revision as of 17:01, 4 April 2022


ब्रिटेन में ही मेरे मन में संकल्प जागा कि यदि भारत को महान भारत बनना है, तो हमें अपनी कार्यशैली में इन दो बातो का स्थान देना होगा I लंदन में मैंने एक गीत लिखा -
हरा - भरा हिंदुस्तान चाहिए, हमको भारत महान चाहिए ;
क्रांति ला दे कुशलता में जो, हमको ऐसा इंसान चाहिए I
जो वतन के लिए मर मिटे, हमको ऐसे जवान चाहिए ;
साल भर जो उगाए, फसल, हमको ऐसा किसान चाहिए I
संत- नानक कबीरा से हो, तुलसी- मीरा के गान चाहिए ;
नेता जाति-वर्ग पोषक नहीं, गाँधी से धर्म -प्राण चाहिए I
दुःख का जो निवारण करे, बुद्ध - से ज्ञानवान चाहिए ;
कर्म का योग बतलाएं जो,कृष्ण जैसे भगवान चाहिए I
सब सुखी स्वस्थ समृद्ध हो, हमको ऐसा विज्ञानं चाहिए ;
धर्म का मर्म समझाए जो, ओशो - से महाप्राण चाहिए I
ब्रिटिश प्रवास के अंतिम दिनों में प्रशिक्षण कोऑडिनेटर को मैं बताता हु कि मेरा विचार ब्रिटेन का सफरनामा लिखने का है I वे खुश होती है और चहक उठती है - " इसका नाम क्या रखेगे ? "
" शील गंधो अनुत्तरो I "
" क्या मतलब?"
" यह गौतम बुद्ध की उक्ति है I " इसका अर्थ है कि शील की सुंगंध सर्वोत्तम है I " देयर इज नो फ्रेग्ररेंस व्हिच कैन मैच विथ दि फ्रेगरेंस ऑफ पोलाइटनेस I "
ब्रिटेन से लौटकर मैंने शीघ्रः ही यह सफरनामा पूरा कर लिया I पहली बार यह एस.ई .सी. एल. की मासिक पत्रिका 'कौशलनाद' में
author
Osho Siddharth
language
Hindi
notes
Available online as PDF on OshoDhara.

editions

शील गंधो अनुत्तरो

ब्रिटेन यात्रा के संस्मरण

Year of publication : 2012
Publisher : Limas Foundation
Edition no. :
ISBN
Number of pages : 80
Hardcover / Paperback / Ebook : P
Edition notes :