Undated Letter written to Sohan 01

From The Sannyas Wiki
Revision as of 08:14, 16 February 2020 by Dhyanantar (talk | contribs)
Jump to navigation Jump to search

Letter written to Ma Yoga Sohan and is undated. See Talk:Letters to Sohan and Manik.

It is unknown if it has been published or not.

आचार्य रजनीश

प्रिय बहिन,
तेरा पत्र मिला है परसों आते ही तुझे लिखना चाहता था ; पर इतने दिनों बाद लौटा तो बहुत व्यस्त रहा। कोई ५० पत्र जो दिनों में लिखे होंगे ; लेकिन जिसे पहला लिखना था, उसे सबके बाद लिख रहा हूँ ! यह स्वाभाविक भी है। जो अपना है उसे ही नाराज किया जा सकता है ! पर देख, तू नाराज मत होना। मैं पहले से ही माफ़ी मांगे लेता हूँ।

सौराष्ट्र का प्रवास बहुत सफल हुआ है। जूनागढ़ के पास एक शिविर के लिए भी बहुत आग्रहपूर्ण निमंत्रण मिला है। संभव है की जल्दी ही वहां शिवी लूं। सौराष्ट्र की भावभूमि बहुत उर्वर मालूम हुई है।

शेष सुभ। यहाँ लौट आता हुं तो तुझसे मिलना कब होगा उस तिथि की प्रतीक्षा पुन: प्रारम्भ हो जाती है। प्रतिबार तुझे विकास की नई सीढ़ियों पर देखकर ह्रदय बहुत आनंदित होता है।

माणिक बाबू को प्रेम। बच्चो को आशीष।

रजनीश के प्रणाम


See also
Letters to Sohan ~ 101 - The event of this letter.
Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.