प्रिय सोहन,
तेरा पत्र मिला है। सुबह-सांझ प्रतीक्षा करता हूँ। तबियत अब बिल्कुल ठीक है। दिल्ली का कार्यक्रम तो स्थगित कर दियाहै लेकिन इंदौर के मित्र किसी भी भांति मानने को राजी नहीं हैं, इसीलिए ११ सित. की रात्रि वहां के लिए निकलूंगा। १२ वहां बोलूंगा और १४ को सुबह यहां वापिस लौट आऊँगा। मौनू साथ जारही है, इसलिए तू चिन्ता मत करना। माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष।