Letter written on 10 Sep 1966 (2): Difference between revisions

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Letter written to Pratap J. Toliya on 10 Sep 1966. It is unknown if it has been published or not.
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[[Sw Satya Anuragi]] kindly shared this and other 17 letters to Pratap.
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(transcript will come soon)
आचार्य रजनीश


परम प्रिय,<br>
पत्र मिला। 'चेतना लोक' को तैयार कर लो, वह पहले 'ज्योतिशिखा' में निकलेगा फिर पीछे पृथक पुस्तिका के रूप में भी निकल सकेगा। सवाल उसका ही डालना नहीं है, असली बात तुम्हारे लिखने की शुरुआत की है। मैं आशा और विश्वास करता हूं कि जिस विचार-क्रांति की दिशा में काम चल रहा है, उस संबंध में तुमसे बहुत कुछ लिखा जावेगा। लेकिन, बड़ी से बड़ी यात्रा का प्रारंभ तो एक छोटे से कदम से ही होता है। उस कम को ही उठाओ। ठीक से उठा पहला कदम करीब- करीब आधी-यात्रा का ही पूरा हो जाना है।
क्या तुम बम्बई आ रहे हो?
यदि अभी ना आ सको तो अक्टूबर (२३, २४, २५ अक्टू.) में हो रहे माथेरान शिविर  में तो आ ही जाना। अभी मैं १५, १६ सितं. पूना और १७, १८, १९, २० सित. बम्बई रहूंगा। 'पथ के प्रदीप' छपकर आ गई है। बम्बई आओगे तो वहां मिल जाएगी। नहीं तो वहीं से पहुंचा दूंगा। शेष शुभ। वहां सबको प्रणाम।
रजनीश के प्रणाम ।
१०/९/१९६६
जीवन जागृती केन्द्र : ११५ नेपियर टाउन : जबलपुर (म. प्र.)
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Letter written to Pratap J. Toliya on 10 Sep 1966. It is unknown if it has been published or not.

Sw Satya Anuragi kindly shared this and other 17 letters to Pratap.


आचार्य रजनीश

परम प्रिय,
पत्र मिला। 'चेतना लोक' को तैयार कर लो, वह पहले 'ज्योतिशिखा' में निकलेगा फिर पीछे पृथक पुस्तिका के रूप में भी निकल सकेगा। सवाल उसका ही डालना नहीं है, असली बात तुम्हारे लिखने की शुरुआत की है। मैं आशा और विश्वास करता हूं कि जिस विचार-क्रांति की दिशा में काम चल रहा है, उस संबंध में तुमसे बहुत कुछ लिखा जावेगा। लेकिन, बड़ी से बड़ी यात्रा का प्रारंभ तो एक छोटे से कदम से ही होता है। उस कम को ही उठाओ। ठीक से उठा पहला कदम करीब- करीब आधी-यात्रा का ही पूरा हो जाना है।

क्या तुम बम्बई आ रहे हो?

यदि अभी ना आ सको तो अक्टूबर (२३, २४, २५ अक्टू.) में हो रहे माथेरान शिविर में तो आ ही जाना। अभी मैं १५, १६ सितं. पूना और १७, १८, १९, २० सित. बम्बई रहूंगा। 'पथ के प्रदीप' छपकर आ गई है। बम्बई आओगे तो वहां मिल जाएगी। नहीं तो वहीं से पहुंचा दूंगा। शेष शुभ। वहां सबको प्रणाम।

रजनीश के प्रणाम ।

१०/९/१९६६

जीवन जागृती केन्द्र : ११५ नेपियर टाउन : जबलपुर (म. प्र.)


See also
Letters to Pratap ~ 09 - The event of this letter.