Letter written on 28 Feb 1966: Difference between revisions
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जबलपुर<br> | |||
२८/२/१९६६ | |||
प्यारी सोहन,<br> | |||
तेरे पत्र मिले हैं। मौनू को लिखा पत्र (चोरी से ) देख लिया है। अहमदाबाद तो तू आयेगी नहीं। देखः पुराने बहाने तुझसे छूटते नहीं हैं ! बच्चों की परीक्षा तेरी साल भर ही चलती है ! | |||
फिर जब तू नहीं आयेगी तो सोचता हूँ कि गर्मी में अहमदाबाद क्यों भटकूँ ? कार्यक्रम स्थगित करने को लिख दिया है। | |||
माणिक बाबू का पत्र भी मिला है। तू उन्हें कुछ समझाया कर ! तेरे ज्ञान को वे मानते भी बहुत हैं। मैंने जब तुझे सिद्ध देवी कह दिया है तो तुझे उपदेश करने में संकोच करने की अब कोई जरुरत नहीं है ! | |||
सबको प्रेम। | |||
मैं आज बाहर जारहा हूँ। | |||
मैं आनंद में हूँ। | |||
रजनीश के प्रणाम | |||
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Revision as of 13:44, 4 March 2020
Letter written to Ma Yoga Sohan on 28 Feb 1966 in Jabalpur. It is unknown if it has been published or not.
जबलपुर प्यारी सोहन, फिर जब तू नहीं आयेगी तो सोचता हूँ कि गर्मी में अहमदाबाद क्यों भटकूँ ? कार्यक्रम स्थगित करने को लिख दिया है। माणिक बाबू का पत्र भी मिला है। तू उन्हें कुछ समझाया कर ! तेरे ज्ञान को वे मानते भी बहुत हैं। मैंने जब तुझे सिद्ध देवी कह दिया है तो तुझे उपदेश करने में संकोच करने की अब कोई जरुरत नहीं है ! सबको प्रेम। मैं आज बाहर जारहा हूँ। मैं आनंद में हूँ। रजनीश के प्रणाम |
- See also
- Letters to Sohan ~ 060 - The event of this letter.
- Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.