Talk:Prem Ki Jheel Mein Anugrah Ke Phool (प्रेम की झील में अनुग्रह के फूल): Difference between revisions
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:149. मन को भी जो देखता और जानता है--वही हो तुम | :149. मन को भी जो देखता और जानता है--वही हो तुम | ||
:150. घूंघट के पट खोल | :150. घूंघट के पट खोल | ||
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Info on letters from Shailendra's PDF: | |||
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! chapter / title !! sent to (in Hindi) !! date !! notes | |||
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| 1/ जन्म-दिवस संदेश--"द्विज बनो" || श्री विजयबाबू देशलहरा, Buldhana (MH) || 14 Mar 1961 am || | |||
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| 2/ सम्यक विचार से जीवन में क्रांति || श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) || 14 Nov 1961 || | |||
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| 3/ ज्वलंत प्यास है द्वार--समाधि का || श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) || 7 Dec 1961 || | |||
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| 4/ प्रेम मुक्ति है और मोह--बंधन || श्री भीखमचंद जी कोठारी, Hingoli (MH) || 14 Feb 1962 || | |||
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| 5/ भीतर छिपी अनंत शांति और साम्राज्य की खोज || श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) || 13 Nov 1962 am || | |||
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| 6/ प्रकाश-किरण का अनुगमन--मूल-स्रोत तक || 4 Jun 1963 || सुश्री जया शाह, Bombay || | |||
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| 7/ स्वयं से मिलन ही योग है || श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) || 14 Aug 1963 || | |||
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| 8/ शून्यता है द्वार--अमृत का || सुश्री जया शाह, Bombay || 7 Nov 1963 || | |||
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| 9/ शाश्वत आनंद के राज्य में प्रतिष्ठा || श्री भीखमचंद देशलहरा, Buldhana (MH) || 12 Jan 1964 || | |||
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| 10/ अमृत-पाथेय || श्री विजयबाबू देशलहरा, Buldhana (MH) || 8 May 1965 || | |||
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| 11/ आनंद है--निर्विचार स्व-प्रतिष्ठा में || सुश्री सोहन बाफना, Poona || 4 Jun 1965, Gadarwara || | |||
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| 12/ साधना की हवाएं और मन की धूल || सुश्री सोहन बाफना, Poona || 12 Jun 1965 || | |||
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| 13/ वर्तमान में जीना अदभुत आनंद है || सुश्री सोहन बाफना, Poona || 26 Jun 1965 || | |||
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| 14/ ध्यान से खुलना--अंतस-चक्षु का || श्री आर. के. नंदाणी, Rajkot (GJ) || 2 Mar 1966, Jabalpur || | |||
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| 15/ आनंद और संगीत--अकेलेपन का || सुश्री सोहन, Poona || 3 May 1966 || | |||
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| 16/ मिटना है मार्ग || श्री आर. के. नंदाणी, Rajkot || 24 Jun 1966, Jabalpur || | |||
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| 17/ ध्यान के बीज से सत्य-जीवन का अंकुरण || श्री आर. के. नंदाणी, Rajkot || 2 Dec 1966, Jabalpur || | |||
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| 18/ जीवन-संघर्ष के बीच फलित--सम्यक शांति || कुमारी एन. आर. नंदाणी, Rajkot || 3 Dec 1966 || | |||
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| 19/ निष्प्रश्न चित्त में सत्य का आविर्भाव || श्री चंद्रकांत पी. सोलंकी, Surendranagar (GJ) || 2 Dec 1967 || | |||
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| 20/ उत्तर न खोज--प्रश्नों के साथ ही जी || मा योग शोभना, Bombay || 18 Apr 1968 || | |||
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| 21/ सरोवर का किनारा--और जन्मों-जन्मों की प्यास || मा योग शोभना, Bombay || 5 Aug 1968 || | |||
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| 22/ जागरूकता से जन्म--प्रेम का || सुश्री स्वर्णलता बत्रा, Bombay || 23 Dec 1968 am || | |||
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| 23/ ध्यान पाया, तो सब पा लिया || सुश्री स्वर्णलता बत्रा, Bombay || 9 Jan 1969 || | |||
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| 24/ जीत की आकांक्षा में ही छिपी है हार || स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna || (no date), Jabalpur || | |||
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| 25/ "मैं मन हूं"--इस भ्रम से मुक्ति || स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna || (no date) || | |||
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| 26/ प्रत्येक स्थिति है--अतिक्रमण की संभावना || स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna || 20 Feb 1969 || | |||
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| 27/ अनकहे शब्द और अनगाए गीत || सुश्री कुसुम, Ludhiana (Punjab) || 30 Aug 1969 || | |||
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| 28/ निष्प्रयोजनता का सौंदर्य || स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna || Oct 1969 || month only | |||
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| 29/ समझौता न करें--विचार स्वातंष्य के लिए लड़ें || आचार्य श्री तुलसी || (no date) || | |||
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| 30/ कुण्डलिनी-ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन || सुश्री पद्मा इंजीनियर, Poona || 13 Dec 1970 || | |||
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| 31/ पूर्ण होने का विज्ञान है--शून्य होना || मा आनंद मधु, Ajol (GJ) || 28 Dec 1970 || | |||
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| 32/ अलौकिक अनुभवों की वर्षा--कुंडलिनी जागरण पर || श्री राजेन्द्र आर. अन्जारिया, Ahmedabad || 29 Dec 1970 || | |||
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| 33/ मौन-प्रवचन || स्वामी वेदांत भारती, Ajol (GJ) || 14 Jan 1971 || | |||
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| 34/ शून्य के स्वर || श्री किरण, Poona (MH) || 21 Jan 1971 || | |||
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| 35/ शब्दहीन संवाद में दीक्षा || श्री ब्रह्मदत्त, Bombay || 22 Jan 1971 || | |||
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| 36/ संसार और संन्यास में द्वैत नहीं है || स्वामी अगेह भारती, Jabalpur || 8 Mar 1971 || | |||
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| 37/ दीये की ज्योति का एक हो जाना--महासूर्य से || साध्वी योग शिरीष, Bombay || 8 Mar 1971 || | |||
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| 38/ अब अवसर आ गया है, इसलिए पुकारता हूं || सौ. मृणाल जोशी, Poona || 8 Mar 1971 || | |||
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| 39/ जिसने स्वयं को जाना, वह आलोक से भर जाता है || श्रीमती नीलम अमरजीत, Ludhiana (Punjab) || 8 Mar 1971 || | |||
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| 40/ एक-एक बूंद से सागर भर जाता है || श्रीमती कुसुम, Ludhiana || 8 Mar 1971 || | |||
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| 41/ मैं बौरी खोजन गई, रही किनारे बैठ || डाक्टर हेमंत शुक्ल, Junagadh|| 8 Mar 1971 || | |||
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| 42/ अमृत-वर्षा की बाढ़ || स्वामी आनंद विजय, Jabalpur || 8 Mar 1971 || | |||
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| 43/ उतरो अब उस नासमझी में || स्वामी आनंद विजय, Jabalpur || 8 Mar 1971 || | |||
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| 44/ स्वर्ग के भी पार होना है || श्री मदनलाल, Amritsar || 9 Mar 1971 || | |||
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| 45/ समस्त आयामों में हो रहा--अनादि-अनंत संगीतोत्सव || साध्वी योग शिरीष, Bombay || 9 Mar 1971 || | |||
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| 46/ नया नाम--पुराने से तादात्म्य तोड़ने के लिए || मा योग संबोधि, Jabalpur || 9 Mar 1971 || | |||
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| 47/ निकट है तेरा नया जन्म || सौ. मृणाल जोशी, Poona || 9 Mar 1971 || | |||
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| 48/ संवादित प्रार्थना के स्वर || श्री जवाहर बोहरा, Amravati (MH) || 9 Mar 1971 || | |||
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| 49/ समाधान--समाधि पर ही || स्वामी आनंद ब्रह्म, Poona || 10 Mar 1971 || | |||
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| 50/ ध्यान से मन हो जाता है अनासक्त || स्वामी आनंद ब्रह्म, Poona || 10 Mar 1971 || | |||
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| 51/ स्वानुभव ही श्रद्धा है || श्री मदनलाल, Amritsar || 10 Mar 1971 || | |||
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| 52/ संन्यासी जाएंगे--अमृत-संदेश बांटने || मा योग तरु, Bombay || 10 Mar 1971 || | |||
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| 53/ संभावी क्रांति की प्रतीति || मा योग तरु, Bombay || 10 Mar 1971 || | |||
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| 54/ सिद्धियों में रस न लेना || मा योग समाधि, Rajkot || 10 Mar 1971 || | |||
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| 55/ अतीत को टूटने दो--मिटने दो || मा योग तरु, Bombay || 11 Mar 1971 || | |||
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| 56/ काम-ऊर्जा के अंतर्गमन का विधायक मार्ग || मा योग समाधि, Rajkot || 11 Mar 1971 || | |||
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| 57/ मैं हूं ही कहां--वही है || मा धर्म रक्षिता, Bombay || 11 Mar 1971 || | |||
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| 58/ तैयारी--भविष्य के लिए || मा योग तरु, Bombay || 11 Mar 1971 || | |||
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| 59/ पदार्थ परमात्मा की देह है || श्री सुभाषचंद्र पांडे, Satna (MP) || 11 Mar 1971 || | |||
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| 60/ गूंगे का गुड़ || श्री मदनलाल, Amritsar (Punjab) || 11 Mar 1971 || | |||
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| 61/ कूदो--असुरक्षा में, अज्ञात में, अज्ञेय में || स्वामी दिनेश भारती, Khadki, Poona || 11 Mar 1971 || | |||
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| 62/ अज्ञेय (न्नदादवूंइसम) से मिलन || स्वामी दिनेश भारती, Khadki, Poona || 11 Mar 1971 || | |||
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| 63/ सीखने के लिए मन को सदा खुला रखो || स्वामी प्रेम चैतन्य, Poona || 11 Mar 1971 || | |||
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| 64/ गुरु सोए हुए ज्ञान को जगाने में निमित्त मात्र है || स्वामी प्रेम चैतन्य, Poona || 11 Mar 1971 || | |||
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| 65/ गैरिक वस्त्र साधक के लिए मंगलदायी || स्वामी दिनेश भारती, Poona || 12 Mar 1971 || | |||
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| 66/ अचेतन मन का पलायन--मृत्यु से बचने के लिए || स्वामी दिनेश भारती, Khadki, Poona || 12 Mar 1971 || | |||
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| 67/ साहस को जगाओ--सक्रिय करो || श्री सुभाषचंद्र पांडे, Satna (MP) || 12 Mar 1971 || | |||
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| 68/ नव-संन्यास आंदोलन का महत कार्य || मा योग तरु, Bombay || 12 Mar 1971 || | |||
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| 69/ शब्दों की मूर्च्छा और विचारों का सम्मोहन || श्री श्रीकांत नारायण लग्गड़, Sangamner (MH) || 12 Mar 1971 || | |||
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| 70/ आकाश में छलांग--खिड़कियों से निकल कर || श्री श्रीकांत नारायण लग्गड़, Sangamner || 12 Mar 1971 || | |||
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| 71/ सहायता--देशातीत व कालातीत की || स्वामी विजय मूर्ति, Poona || 12 Mar 1971 || | |||
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| 72/ चाह है जहां--वहां राह भी है || श्री चंपक लालजे सोलंकी, Bombay || 12 Mar 1971 || | |||
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| 73/ स्वयं को बचाने में ही अज्ञान है || स्वामी आनंद नारायण, Chinchwad, Poona || 12 Mar 1971 || | |||
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| 74/ ध्यान--अशरीरी भाव--और ब्रह्म-भाव || श्री नटवरसिंह, Kherwa, Saurashtra || 12 Mar 1971 || Kherwa is a village in Rajasthan,<br>and Saurashtra is in Gujarat ?? | |||
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| 75/ ध्यान के बिना ब्रह्मचर्य असंभव || मा धर्म रक्षिता, Malad, Bombay || 12 Mar 1971 || | |||
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| 76/ यात्राएं--सूक्ष्म शरीर से || स्वामी चैतन्य बोधिसत्व, Ahmedabad || 13 Mar 1971 || | |||
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| 77/ अहंकार को समझो || श्रीकांत नारायण लग्गड़, Sangamner || 13 Mar 1971 || | |||
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| 78/ संन्यास के संस्कार--पिछले जन्मों के || स्वामी आनंद निर्गुण, Raipur (MP) || 13 Mar 1971 || | |||
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| 79/ बंधन स्वयं का निर्माण है || श्री शंकर लाल बी. रामी, Ahmedabad || 13 Mar 1971 || | |||
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| 80/ बढ़ो और मिटो--यही मेरी कामना है || डा. बी. सी. भट्टाचार्य, Pimpri, Poona || 13 Mar 1971 || | |||
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| 81/ जो खाली हैं--वे भर दिए जाते हैं || सुश्री उर्मिला, Gorakhpur || 13 Mar 1971 || | |||
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| 82/ मेरा भरोसा रख || श्रीमती पुष्पाजी, Jalandhar (Punjab) || 13 Mar 1971 || | |||
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| 83/ अहंकार की अतिशय उपस्थिति || मा योग क्रांति, Jabalpur || 13 Mar 1971 || | |||
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| 84/ ज्ञानोपलब्धि और अज्ञेय जीवन || मा योग क्रांति, Jabalpur || 14 Mar 1971 || | |||
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| 85/ बूंद-बूंद सुखों में--परमात्मा का विस्मरण || मा योग क्रांति, Jabalpur || 15 Mar 1971 || | |||
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| 86/ सत्य का द्वार शास्त्र नहीं--समाधि है || मा योग क्रांति, Jabalpur || 16 Mar 1971 || | |||
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| 87/ मैं मृत्यु सिखाता हूं || मा योग क्रांति, Jabalpur || 17 Mar 1971 || | |||
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| 88/ धर्म की दो अभिव्यक्तियां--तथाता और शून्यता || मा योग क्रांति, Jabalpur || 19 Mar 1971 || | |||
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| 89/ सभी कुछ वही है || मा योग क्रांति, Jabalpur || 20 Mar 1971 || | |||
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| 90/ स्वयं को खोल लो--आकाश की भांति--विस्तीर्ण, मौन, निःशब्द || मा योग क्रांति, Jabalpur || 20 Mar 1971 || | |||
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| 91/ मन के द्वंद्वों के प्रति सजगता || डा. मदन, Ghazipur (UP) || 1 Apr 1971 || | |||
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| 92/ जीवन एक अभिनय है || सुश्री नीलम अमरजीत, Ludhiana (Punjab) || 1 Apr 1971 || | |||
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| 93/ शास्त्रों से मनपसंद अर्थ निकालने की कुशलता || स्वामी कृष्ण सरस्वती, Ahmedabad || 1 Apr 1971 || | |||
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| 94/ आदमी की गहन मूर्च्छा || स्वामी कृष्ण सरस्वती, Ahmedabad || 2 Apr 1971 || | |||
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| 95/ बीज को लड़ना भी होगा--मिटना भी होगा || स्वामी चैतन्य प्रभु, Poona || 2 Apr 1971 || | |||
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| 96/ प्रभु के द्वार पर कोई भी अपात्र नहीं है || मा अमृत साधना, Poona || 2 Apr 1971 || | |||
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| 97/ मार्ग की कठिनाइयां--और जीवन-शिखर छूने की अभीप्सा || मा योग तरु, Bombay || 2 Apr 1971 || | |||
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| 98/ पार उठो--विचारों के || स्वामी आनंद निर्गुण, Raipur (MP) || 2 Apr 1971 || | |||
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| 99/ समग्र प्राणों की आहुति--और सत्य का विस्फोट || स्वामी आनंद निर्गुण, (MP) || 2 Apr 1971 || | |||
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| 100/ ध्यान की यात्रा में विचारों का बोझ || श्रीमती कमला लक्ष्मीचंद, Bangalore || 2 Apr 1971 || | |||
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| 101/ बहुत तरह की अग्नियों में जलना होगा--निखरने के लिए || स्वामी दिनेश भारती, Varanasi (UP) || 2 Apr 1971 || | |||
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| 102/ मार्ग चुनने के पहले स्वयं की पहचान जरूरी || सौ. लीला अयंकर, Poona || 2 Apr 1971 || | |||
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| 103/ हृदय की सरलता ही तो उसका द्वार है || सुश्री प्रेमा बाई, Poona || 2 Apr 1971 || | |||
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| 104/ प्यास चाहिए--पुकार चाहिए || श्री मल्लिकार्जुन सिद्ध अप्पा हिपलगे, Dhanura (Mysore) || 2 Apr 1971 || | |||
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| 105/ समर्पित हृदय की अंतर्साधना || मा अमृत साधना, Poona || 2 Apr 1971 || | |||
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| 106/ कांटों को गिनते रहना पागलपन है || स्वामी अक्षय सरस्वती, Jabalpur (MP) || 3 Apr 1971 || | |||
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| 107/ शांति का द्वार--जीवन की समग्र स्वीकृति || श्री कृष्ण जी गणेश जोशी, Bombay || 3 Apr 1971 || | |||
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| 108/ विवाद--अज्ञानियों के || स्वामी योग चिन्मय, Bombay || 10 Apr 1971 || | |||
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| 109/ पूर्ण संकल्प में तुम स्वयं ही मंजिल हो || स्वामी आनंद संत, Amritsar || 13 Apr 1971 || | |||
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| 110/ संसार में अभिनेता की भांति जीना योग्य है || स्वामी आनंद संत, Amritsar || 14 Apr 1971 || | |||
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| 111/ सहजता ही संन्यास है || स्वामी आनंद आलोक, Sangamner || 14 Apr 1971 || | |||
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| 112/ मन से मुक्ति || श्री कांतिलाल टी. सेठिया, Dhanbad (Bihar) || 15 Apr 1971 || | |||
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| 113/ व्यक्ति का विसर्जन--प्रकाश में || कुमारी रजनी, Poona || 15 Apr 1971 || | |||
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| 114/ अहिंसा--अनिवार्य छाया ध्यान की || स्वामी आनंद संत, Amritsar (Punjab) || 15 Apr 1971 || | |||
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| 115/ विचारों का विसर्जन || कुमारी रजनी, Poona || 15 Apr 1971 || | |||
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| 116/ गहरे ध्यान में दर्शन--बिंदु का || कुमारी रजनी, Poona || 15 Apr 1971 || | |||
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| 117/ "स्व" से मुक्ति ही मोक्ष है || स्वामी आनंद आलोक, Sangamner (MH) || 15 Apr 1971 || | |||
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| 118/ चक्रों के खुलते समय पीड़ा स्वाभाविक || मा अमृत साधना, Poona || 16 Apr 1971 || | |||
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| 119/ स्वप्न-सा है--यह जीवन || श्री सुखराज जैन, Barman (MP) || 16 Apr 1971 || | |||
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| 120/ सोया हुआ आदमी--जीवन के तथ्यों के प्रति || श्री सुखराज जैन, Barman (MP) || 16 Apr 1971 || | |||
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| 121/ गहरी निद्रा का बोध || श्री सुखराज जैन, Barman (MP) || 16 Apr 1971 || | |||
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| 122/ पकने दो--प्यास को || श्री राजेन्द्र खजांची, Savali (MH) || 16 Apr 1971 || | |||
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| 123/ चित्त के दर्पण पर जन्मों-जन्मों की धूल || श्री कालूराम अग्रवाल, Jugsalai (Bihar) || 16 Apr 1971 || | |||
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| 124/ प्रतिपल स्मरण रख--जीवन नाटक है || मा अमृत साधना, Poona || 17 Apr 1971 || | |||
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| 125/ साधना के कीमती क्षणों में सजगता || मा अमृत साधना, Poona || 17 Apr 1971 || | |||
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| 126/ नया जन्म--शरीर के पार--मन के पार || मा योग शिवानी, Ahmedabad || 18 Apr 1971 || | |||
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| 127/ सत्य एक है--बस, नाम ही अनेक हैं || मा योग शिवानी, Ahmedabad || 18 Apr 1971 || | |||
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| 128/ देखो अद्वैत को--पहचानो अद्वैत को || स्वामी चैतन्य प्रभु, Poona || 18 Apr 1971 || | |||
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| 129/ बढ़ो, बहो--सागर की ओर || स्वामी वेदांत सागर, Rajkot || 18 Apr 1971 || | |||
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| 130/ मृत्यु है द्वार--अमृत का || स्वामी अमृत सिद्धांत, Ahmedabad || 18 Apr 1971 || | |||
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| 131/ जीओ जीवन को--पीओ जीवन को || स्वामी अमृत सिद्धांत, Ahmedabad || 18 Apr 1971 || | |||
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| 132/ ध्यान में पूरी बाजी लगाओ || श्रीमती पुष्पा, Jalandhar (Punjab) || 19 Apr 1971 || | |||
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| 133/ पीड़ा प्रार्थना बने--तो ही मुक्ति है || श्री सरदारी लाल सहगल, Amritsar (Punjab) || 19 Apr 1971 || | |||
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| 134/ एक ही है मंत्र--समर्पण || श्री सरदारी लाल सहगल, Amritsar || 19 Apr 1971 || | |||
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| 135/ आंसुओं से सींचना--प्रार्थना के बीज को || स्वामी चैतन्य प्रभु, Poona || 19 Apr 1971 || | |||
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| 136/ अनेक द्वैतों को समाहित किए हुए--अद्वैत || मा योग लक्ष्मी, Bombay || 20 Apr 1971 || | |||
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| 137/ भीतर डूबो और भीड़ को स्वयं से बाहर करो || स्वामी कृष्ण कबीर, Bombay || 18 May 1971 || | |||
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| 138/ विचारों से गहरी--भावना || स्वामी आनंद परमहंस, Jabalpur || 20 May 1971 || | |||
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| 139/ स्वयं में विश्वास प्रतिभा है || स्वामी आनंद परमहंस, Jabalpur || 21 May 1971 || | |||
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| 140/ अंतर्ज्योति || स्वामी योग चिन्मय, Bombay || 21 May 1971 || | |||
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| 141/ बस, सीधी चली आ || साध्वी चंदना, कलकत्ता || 24 May 1971 || | |||
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| 142/ अविचलता से स्वयं का अनुसरण करो || स्वामी योग चिन्मय, Bombay || 25 May 1971 || | |||
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| 143/ कर्मों का चट्टानी ढेर || मा योग प्रार्थना, Bombay || 6 Jun 1971 || | |||
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| 144/ धैर्य और प्रतीक्षा || मा योग तारा, Bombay || 6 Jun 1971 || | |||
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| 145/ समर्पण है द्वार--परम जीवन का || स्वामी रामकृष्ण भारती, Bagra Tawa (MP) || 22 Jun 1971 || | |||
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| 146/ बुद्धि की सीमा || श्रीमती सुशीला सिन्हा, Patna || 5 Jul 1971 || | |||
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| 147/ मृत्यु-बोध और आत्म-क्रांति || श्री नागेश्वर प्रसाद सिंह, Onta (Bihar) || 12 Dec 1971 || | |||
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| 148/ बस, ज्ञान ही मुक्ति है || श्रीयुत राहुल, Agra || 28 Feb 1972 || | |||
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| 149/ मन को भी जो देखता और जानता है--वही हो तुम || श्री एम. एल. राजोरिया, Jabalpur (MP) || 18 Apr 1971 || | |||
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| 150/ घूंघट के पट खोल || श्री पुष्कर गोकाणी, Dwarka (GJ) || 3 Mar 1971 || | |||
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I did not translate names as i do not know Hindi well.--DhyanAntar 10:15, 27 September 2019 (UTC) |
Revision as of 10:15, 27 September 2019
The dates 1963-1971 suggested for these letters are mentioned by Neeten in the Appendix section of his Osho Source Book. -- doofus-9 02:41, 20 January 2017 (UTC)
TOC:
- 1. जन्म-दिवस संदेश--‘द्विज बनो’
- 2. सम्यक विचार से जीवन में क्रांति
- 3. ज्वलंत प्यास है द्वार--समाधि का
- 4. प्रेम मुक्ति है और मोह--बंधन
- 5. भीतर छिपी अनंत शांति और साम्राज्य की खोज
- 6. प्रकाश किरण का अनुगमन--मूल स्रोत तक
- 7. स्वयं से मिलन ही योग है
- 8. शून्यता है द्वार--अमृत का
- 9. शाश्वत आनंद के राज्य में प्रतिष्ठा
- 10. अमृत-पाथेय
- 11. आनंद है--निर्विचार स्व-प्रतिष्ठा में
- 12. साधना की हवायें और मन की धूल
- 13. वर्तमान में जीना अदभुत आनंद है
- 14. ध्यान से खुलना--अंतस चक्षु का
- 15. आनंद और संगीत--अकेलेपन का
- 16. मिटना है मार्ग
- 17. ध्यान के बीज से सत्य-जीवन का अंकुरण
- 18. जीवन-संघर्ष के बीच फलित--सम्यक शांति
- 19. निष्प्रश्न चित्त में सत्य का आविर्भाव
- 20. उत्तर न खोज--प्रश्नों के साथ ही जी
- 21. सरोवर का किनारा--और जन्मों-जन्मों की प्यास
- 22. जागरूकता से जन्म--प्रेम का
- 23. ध्यान पाया, तो सब पा लिया
- 24. जीत की आकांक्षा में ही छिपी है हार
- 25. ‘मैं मन हूं’--इस भ्रम से मुक्ति
- 26. प्रत्येक स्थिति है--अतिक्रमण की संभावना
- 27. अनकहे शब्द और अनगाए गीत
- 28. निष्प्रयोजनता का सौंदर्य
- 29. समझौता न करें--विचार स्वातंत्र्य के लिए लड़ें
- 30. कुण्डलिनी-ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन
- 31. पूर्ण होने का विज्ञान है--शून्य हो जाना
- 32. आलौकिक अनुभवों की वर्षा--कुण्डलिनी जागरण पर
- 33. मौन-प्रवचन
- 34. शून्य के स्वर
- 35. शब्दहीन संवाद में दीक्षा
- 36. संसार और संन्यास में द्वैत नहीं है
- 37. दीये की ज्योति का एक हो जाना--महासूर्य से
- 38. अब अवसर आ गया है, इसलिए पुकारता हूं
- 39. जिसने स्वयं को जाना, वह आलोक से भर जाता है
- 40. एक-एक बूंद से सागर भर जाता है
- 41. मैं बौरी खोजन गयी, रही किनारे बैठ
- 42. अमृत-वर्षा की बाढ़
- 43. उतरो अब उस नासमझी में
- 44. स्वर्ग के भी पार होना है
- 45. समस्त आयामों में हो रहा--अनादि-अनंत संगीतोत्सव
- 46. नया नाम--पुराने से तादात्म्य तोड़ने के लिए
- 47. निकट है तेरा नया जन्म
- 48. संवादित प्रार्थना के स्वर
- 49. समाधान--समाधि पर ही
- 50. ध्यान से मन हो जाता है अनासक्त
- 51. स्वानुभव ही श्रद्धा है
- 52. संन्यासी जायेंगे--अमृत-संदेश बांटने
- 53. संभावी क्रांति की प्रतीति
- 54. सिद्धियों में रस न लेना
- 55. अतीत को टूटने दो--मिटने दो
- 56. काम-ऊर्जा के अंतर्गमन का विधायक मार्ग
- 57. मैं हूं ही कहां--वही है
- 58. तैयारी--भविष्य के लिए
- 59. पदार्थ परमात्मा की देह है
- 60. गूंगे का गुड़
- 61. कूदो--असुरक्षा में, अज्ञात में, अज्ञेय में
- 62. अज्ञेय (Unknowable) से मिलन
- 63. सीखने के लिए मन को सदा खुला रखो
- 64. गुरु सोये हुए ज्ञान को जगाने में निमित्त मात्र है
- 65. गैरिक वस्त्र साधक के लिए मंगलदायी
- 66. अचेतन मन का पलायन--मृत्यु से बचने के लिए
- 67. साहस को जगाओ--सक्रिय करो
- 68. नव-संन्यास आंदोलन का महत कार्य
- 69. शब्दों की मूर्च्छा और विचारों का सम्मोहन
- 70. आकाश में छलांग--खिड़कियों से निकलकर
- 71. सहायता--देशातीत व कालातीत की
- 72. चाह है जहां--वहां राह भी है
- 73. स्वयं को बचाने में ही अज्ञान है
- 74. ध्यान--अशरीरी-भाव और ब्रह्म-भाव
- 75. ध्यान के बिना ब्रह्मचर्य असंभव
- 76. यात्रायें--सूक्ष्म शरीर से
- 77. अहंकार को समझो
- 78. संन्यास के संस्कार--पिछले जन्मों के
- 79. बंधन स्वयं का निर्माण है
- 80. बढ़ो और मिटो--यही मेरी कामना है
- 81. जो खाली हैं--वे भर दिये जाते हैं
- 82. मेरा भरोसा रख
- 83. अहंकार की अतिशय उपस्थिति
- 84. ज्ञानोपलब्धि और अज्ञेय जीवन
- 85. बूंद-बूंद सुखों में--परमात्मा का विस्मरण
- 86. सत्य का द्वार शास्त्र नहीं--समाधि है
- 87. मैं मृत्यु सिखाता हूं
- 88. धर्म की दो अभिव्यक्तियां--तथाता और शून्यता
- 89. सभी कुछ वही है
- 90. स्वयं को खोल लो--आकाश की भांति--विस्तीर्ण, मौन, निःशब्द
- 91. मन के द्वंद्वों के प्रति सजगता
- 92. जीवन एक अभिनय है
- 93. शास्त्रों से मनपसंद अर्थ निकालने की कुशलता
- 94. आदमी की गहन मूर्च्छा
- 95. बीज को लड़ना भी होगा--मिटना भी होगा
- 96. प्रभु के द्वार पर कोई भी अपात्र नहीं है
- 97. मार्ग की कठिनाइयां और जीवन-शिखर छूने की अभीप्सा
- 98. पार उठो--विचारों का बोझ
- 99. समग्र प्राणों की आहुति--और सत्य का विस्फोट
- 100. ध्यान की यात्रा में विचारों का बोझ
- 101. बहुत तरह की अग्नियों में जलना होगा--निखरने के लिए
- 102. मार्ग चुनने के पहले स्वयं की पहचान जरूरी
- 103. हृदय की सरलता ही तो उसका द्वार है
- 104. प्यास चाहिए--पुकार चाहिए
- 105. समर्पित हृदय की अन्तर्साधना
- 106. कांटों को गिनते रहना पागलपन है
- 107. शांति का द्वार--जीवन की समग्र स्वीकृति
- 108. विवाद--अज्ञानियों के
- 109. पूर्ण संकल्प में तुम स्वयं ही मंजिल हो
- 110. संसार में अभिनेता की भांति जीना योग है
- 111. सहजता ही संन्यास है
- 112. मन से मुक्ति
- 113. व्यक्ति का विसर्जन--प्रकाश में
- 114. अहिंसा--अनिवार्य छाया ध्यान की
- 115. विचारों का विसर्जन
- 116. गहरे ध्यान में दर्शन--बिंदु का
- 117. ‘स्व’ से मुक्ति ही मोक्ष है
- 118. चक्रों के खुलते समय पीड़ा स्वाभाविक
- 119. स्वप्न-सा है--यह जीवन
- 120. सोया हुआ आदमी--जीवन के तथ्यों के प्रति
- 121. गहरी निद्रा का बोध
- 122. पकने दो--प्यास को
- 123. चित्त के दर्पण पर जन्मों-जन्मों की धूल
- 124. प्रतिपल स्मरण रख--जीवन नाटक है
- 125. साधना के कीमती क्षणों में सजगता
- 126. नया जन्म--शरीर के पार--मन के पार
- 127. सत्य एक है--बस, नाम ही अनेक हैं
- 128. देखो अद्वैत को--पहचानो अद्वैत को
- 129. बढ़ो, बहो--सागर की ओर
- 130. मृत्यु है द्वार--अमृत का
- 131. जीयो जीवन को--पीयो जीवन को
- 132. ध्यान में पूरी बाजी लगाओ
- 133. पीड़ा प्रार्थना बने--तो ही मुक्ति है
- 134. एक ही है मंत्र--समर्पण
- 135. आंसुओं से सींचना--प्रार्थना के बीज को
- 136. अनेक द्वैतों को समाहित किये हुए--अद्वैत
- 137. भीतर डूबो और भीड़ को स्वयं से बाहर करो
- 138. विचारों से गहरी--भावना
- 139. स्वयं में विश्वास प्रतिभा है
- 140. अंतर्ज्योति
- 141. बस, सीधी चली आ
- 142. अविचलता से स्वयं का अनुसरण करो
- 143. कर्मों का चट्टानी ढेर
- 144. धैर्य और प्रतीक्षा
- 145. समर्पण है द्वार--परम जीवन का
- 146. बुद्धि की सीमा
- 147. मृत्यु-बोध और आत्म-क्रांति
- 148. बस, ज्ञान ही मुक्ति है
- 149. मन को भी जो देखता और जानता है--वही हो तुम
- 150. घूंघट के पट खोल
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chapter / title | sent to (in Hindi) | date | notes |
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1/ जन्म-दिवस संदेश--"द्विज बनो" | श्री विजयबाबू देशलहरा, Buldhana (MH) | 14 Mar 1961 am | |
2/ सम्यक विचार से जीवन में क्रांति | श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) | 14 Nov 1961 | |
3/ ज्वलंत प्यास है द्वार--समाधि का | श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) | 7 Dec 1961 | |
4/ प्रेम मुक्ति है और मोह--बंधन | श्री भीखमचंद जी कोठारी, Hingoli (MH) | 14 Feb 1962 | |
5/ भीतर छिपी अनंत शांति और साम्राज्य की खोज | श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) | 13 Nov 1962 am | |
6/ प्रकाश-किरण का अनुगमन--मूल-स्रोत तक | 4 Jun 1963 | सुश्री जया शाह, Bombay | |
7/ स्वयं से मिलन ही योग है | श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) | 14 Aug 1963 | |
8/ शून्यता है द्वार--अमृत का | सुश्री जया शाह, Bombay | 7 Nov 1963 | |
9/ शाश्वत आनंद के राज्य में प्रतिष्ठा | श्री भीखमचंद देशलहरा, Buldhana (MH) | 12 Jan 1964 | |
10/ अमृत-पाथेय | श्री विजयबाबू देशलहरा, Buldhana (MH) | 8 May 1965 | |
11/ आनंद है--निर्विचार स्व-प्रतिष्ठा में | सुश्री सोहन बाफना, Poona | 4 Jun 1965, Gadarwara | |
12/ साधना की हवाएं और मन की धूल | सुश्री सोहन बाफना, Poona | 12 Jun 1965 | |
13/ वर्तमान में जीना अदभुत आनंद है | सुश्री सोहन बाफना, Poona | 26 Jun 1965 | |
14/ ध्यान से खुलना--अंतस-चक्षु का | श्री आर. के. नंदाणी, Rajkot (GJ) | 2 Mar 1966, Jabalpur | |
15/ आनंद और संगीत--अकेलेपन का | सुश्री सोहन, Poona | 3 May 1966 | |
16/ मिटना है मार्ग | श्री आर. के. नंदाणी, Rajkot | 24 Jun 1966, Jabalpur | |
17/ ध्यान के बीज से सत्य-जीवन का अंकुरण | श्री आर. के. नंदाणी, Rajkot | 2 Dec 1966, Jabalpur | |
18/ जीवन-संघर्ष के बीच फलित--सम्यक शांति | कुमारी एन. आर. नंदाणी, Rajkot | 3 Dec 1966 | |
19/ निष्प्रश्न चित्त में सत्य का आविर्भाव | श्री चंद्रकांत पी. सोलंकी, Surendranagar (GJ) | 2 Dec 1967 | |
20/ उत्तर न खोज--प्रश्नों के साथ ही जी | मा योग शोभना, Bombay | 18 Apr 1968 | |
21/ सरोवर का किनारा--और जन्मों-जन्मों की प्यास | मा योग शोभना, Bombay | 5 Aug 1968 | |
22/ जागरूकता से जन्म--प्रेम का | सुश्री स्वर्णलता बत्रा, Bombay | 23 Dec 1968 am | |
23/ ध्यान पाया, तो सब पा लिया | सुश्री स्वर्णलता बत्रा, Bombay | 9 Jan 1969 | |
24/ जीत की आकांक्षा में ही छिपी है हार | स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna | (no date), Jabalpur | |
25/ "मैं मन हूं"--इस भ्रम से मुक्ति | स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna | (no date) | |
26/ प्रत्येक स्थिति है--अतिक्रमण की संभावना | स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna | 20 Feb 1969 | |
27/ अनकहे शब्द और अनगाए गीत | सुश्री कुसुम, Ludhiana (Punjab) | 30 Aug 1969 | |
28/ निष्प्रयोजनता का सौंदर्य | स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna | Oct 1969 | month only |
29/ समझौता न करें--विचार स्वातंष्य के लिए लड़ें | आचार्य श्री तुलसी | (no date) | |
30/ कुण्डलिनी-ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन | सुश्री पद्मा इंजीनियर, Poona | 13 Dec 1970 | |
31/ पूर्ण होने का विज्ञान है--शून्य होना | मा आनंद मधु, Ajol (GJ) | 28 Dec 1970 | |
32/ अलौकिक अनुभवों की वर्षा--कुंडलिनी जागरण पर | श्री राजेन्द्र आर. अन्जारिया, Ahmedabad | 29 Dec 1970 | |
33/ मौन-प्रवचन | स्वामी वेदांत भारती, Ajol (GJ) | 14 Jan 1971 | |
34/ शून्य के स्वर | श्री किरण, Poona (MH) | 21 Jan 1971 | |
35/ शब्दहीन संवाद में दीक्षा | श्री ब्रह्मदत्त, Bombay | 22 Jan 1971 | |
36/ संसार और संन्यास में द्वैत नहीं है | स्वामी अगेह भारती, Jabalpur | 8 Mar 1971 | |
37/ दीये की ज्योति का एक हो जाना--महासूर्य से | साध्वी योग शिरीष, Bombay | 8 Mar 1971 | |
38/ अब अवसर आ गया है, इसलिए पुकारता हूं | सौ. मृणाल जोशी, Poona | 8 Mar 1971 | |
39/ जिसने स्वयं को जाना, वह आलोक से भर जाता है | श्रीमती नीलम अमरजीत, Ludhiana (Punjab) | 8 Mar 1971 | |
40/ एक-एक बूंद से सागर भर जाता है | श्रीमती कुसुम, Ludhiana | 8 Mar 1971 | |
41/ मैं बौरी खोजन गई, रही किनारे बैठ | डाक्टर हेमंत शुक्ल, Junagadh | 8 Mar 1971 | |
42/ अमृत-वर्षा की बाढ़ | स्वामी आनंद विजय, Jabalpur | 8 Mar 1971 | |
43/ उतरो अब उस नासमझी में | स्वामी आनंद विजय, Jabalpur | 8 Mar 1971 | |
44/ स्वर्ग के भी पार होना है | श्री मदनलाल, Amritsar | 9 Mar 1971 | |
45/ समस्त आयामों में हो रहा--अनादि-अनंत संगीतोत्सव | साध्वी योग शिरीष, Bombay | 9 Mar 1971 | |
46/ नया नाम--पुराने से तादात्म्य तोड़ने के लिए | मा योग संबोधि, Jabalpur | 9 Mar 1971 | |
47/ निकट है तेरा नया जन्म | सौ. मृणाल जोशी, Poona | 9 Mar 1971 | |
48/ संवादित प्रार्थना के स्वर | श्री जवाहर बोहरा, Amravati (MH) | 9 Mar 1971 | |
49/ समाधान--समाधि पर ही | स्वामी आनंद ब्रह्म, Poona | 10 Mar 1971 | |
50/ ध्यान से मन हो जाता है अनासक्त | स्वामी आनंद ब्रह्म, Poona | 10 Mar 1971 | |
51/ स्वानुभव ही श्रद्धा है | श्री मदनलाल, Amritsar | 10 Mar 1971 | |
52/ संन्यासी जाएंगे--अमृत-संदेश बांटने | मा योग तरु, Bombay | 10 Mar 1971 | |
53/ संभावी क्रांति की प्रतीति | मा योग तरु, Bombay | 10 Mar 1971 | |
54/ सिद्धियों में रस न लेना | मा योग समाधि, Rajkot | 10 Mar 1971 | |
55/ अतीत को टूटने दो--मिटने दो | मा योग तरु, Bombay | 11 Mar 1971 | |
56/ काम-ऊर्जा के अंतर्गमन का विधायक मार्ग | मा योग समाधि, Rajkot | 11 Mar 1971 | |
57/ मैं हूं ही कहां--वही है | मा धर्म रक्षिता, Bombay | 11 Mar 1971 | |
58/ तैयारी--भविष्य के लिए | मा योग तरु, Bombay | 11 Mar 1971 | |
59/ पदार्थ परमात्मा की देह है | श्री सुभाषचंद्र पांडे, Satna (MP) | 11 Mar 1971 | |
60/ गूंगे का गुड़ | श्री मदनलाल, Amritsar (Punjab) | 11 Mar 1971 | |
61/ कूदो--असुरक्षा में, अज्ञात में, अज्ञेय में | स्वामी दिनेश भारती, Khadki, Poona | 11 Mar 1971 | |
62/ अज्ञेय (न्नदादवूंइसम) से मिलन | स्वामी दिनेश भारती, Khadki, Poona | 11 Mar 1971 | |
63/ सीखने के लिए मन को सदा खुला रखो | स्वामी प्रेम चैतन्य, Poona | 11 Mar 1971 | |
64/ गुरु सोए हुए ज्ञान को जगाने में निमित्त मात्र है | स्वामी प्रेम चैतन्य, Poona | 11 Mar 1971 | |
65/ गैरिक वस्त्र साधक के लिए मंगलदायी | स्वामी दिनेश भारती, Poona | 12 Mar 1971 | |
66/ अचेतन मन का पलायन--मृत्यु से बचने के लिए | स्वामी दिनेश भारती, Khadki, Poona | 12 Mar 1971 | |
67/ साहस को जगाओ--सक्रिय करो | श्री सुभाषचंद्र पांडे, Satna (MP) | 12 Mar 1971 | |
68/ नव-संन्यास आंदोलन का महत कार्य | मा योग तरु, Bombay | 12 Mar 1971 | |
69/ शब्दों की मूर्च्छा और विचारों का सम्मोहन | श्री श्रीकांत नारायण लग्गड़, Sangamner (MH) | 12 Mar 1971 | |
70/ आकाश में छलांग--खिड़कियों से निकल कर | श्री श्रीकांत नारायण लग्गड़, Sangamner | 12 Mar 1971 | |
71/ सहायता--देशातीत व कालातीत की | स्वामी विजय मूर्ति, Poona | 12 Mar 1971 | |
72/ चाह है जहां--वहां राह भी है | श्री चंपक लालजे सोलंकी, Bombay | 12 Mar 1971 | |
73/ स्वयं को बचाने में ही अज्ञान है | स्वामी आनंद नारायण, Chinchwad, Poona | 12 Mar 1971 | |
74/ ध्यान--अशरीरी भाव--और ब्रह्म-भाव | श्री नटवरसिंह, Kherwa, Saurashtra | 12 Mar 1971 | Kherwa is a village in Rajasthan, and Saurashtra is in Gujarat ?? |
75/ ध्यान के बिना ब्रह्मचर्य असंभव | मा धर्म रक्षिता, Malad, Bombay | 12 Mar 1971 | |
76/ यात्राएं--सूक्ष्म शरीर से | स्वामी चैतन्य बोधिसत्व, Ahmedabad | 13 Mar 1971 | |
77/ अहंकार को समझो | श्रीकांत नारायण लग्गड़, Sangamner | 13 Mar 1971 | |
78/ संन्यास के संस्कार--पिछले जन्मों के | स्वामी आनंद निर्गुण, Raipur (MP) | 13 Mar 1971 | |
79/ बंधन स्वयं का निर्माण है | श्री शंकर लाल बी. रामी, Ahmedabad | 13 Mar 1971 | |
80/ बढ़ो और मिटो--यही मेरी कामना है | डा. बी. सी. भट्टाचार्य, Pimpri, Poona | 13 Mar 1971 | |
81/ जो खाली हैं--वे भर दिए जाते हैं | सुश्री उर्मिला, Gorakhpur | 13 Mar 1971 | |
82/ मेरा भरोसा रख | श्रीमती पुष्पाजी, Jalandhar (Punjab) | 13 Mar 1971 | |
83/ अहंकार की अतिशय उपस्थिति | मा योग क्रांति, Jabalpur | 13 Mar 1971 | |
84/ ज्ञानोपलब्धि और अज्ञेय जीवन | मा योग क्रांति, Jabalpur | 14 Mar 1971 | |
85/ बूंद-बूंद सुखों में--परमात्मा का विस्मरण | मा योग क्रांति, Jabalpur | 15 Mar 1971 | |
86/ सत्य का द्वार शास्त्र नहीं--समाधि है | मा योग क्रांति, Jabalpur | 16 Mar 1971 | |
87/ मैं मृत्यु सिखाता हूं | मा योग क्रांति, Jabalpur | 17 Mar 1971 | |
88/ धर्म की दो अभिव्यक्तियां--तथाता और शून्यता | मा योग क्रांति, Jabalpur | 19 Mar 1971 | |
89/ सभी कुछ वही है | मा योग क्रांति, Jabalpur | 20 Mar 1971 | |
90/ स्वयं को खोल लो--आकाश की भांति--विस्तीर्ण, मौन, निःशब्द | मा योग क्रांति, Jabalpur | 20 Mar 1971 | |
91/ मन के द्वंद्वों के प्रति सजगता | डा. मदन, Ghazipur (UP) | 1 Apr 1971 | |
92/ जीवन एक अभिनय है | सुश्री नीलम अमरजीत, Ludhiana (Punjab) | 1 Apr 1971 | |
93/ शास्त्रों से मनपसंद अर्थ निकालने की कुशलता | स्वामी कृष्ण सरस्वती, Ahmedabad | 1 Apr 1971 | |
94/ आदमी की गहन मूर्च्छा | स्वामी कृष्ण सरस्वती, Ahmedabad | 2 Apr 1971 | |
95/ बीज को लड़ना भी होगा--मिटना भी होगा | स्वामी चैतन्य प्रभु, Poona | 2 Apr 1971 | |
96/ प्रभु के द्वार पर कोई भी अपात्र नहीं है | मा अमृत साधना, Poona | 2 Apr 1971 | |
97/ मार्ग की कठिनाइयां--और जीवन-शिखर छूने की अभीप्सा | मा योग तरु, Bombay | 2 Apr 1971 | |
98/ पार उठो--विचारों के | स्वामी आनंद निर्गुण, Raipur (MP) | 2 Apr 1971 | |
99/ समग्र प्राणों की आहुति--और सत्य का विस्फोट | स्वामी आनंद निर्गुण, (MP) | 2 Apr 1971 | |
100/ ध्यान की यात्रा में विचारों का बोझ | श्रीमती कमला लक्ष्मीचंद, Bangalore | 2 Apr 1971 | |
101/ बहुत तरह की अग्नियों में जलना होगा--निखरने के लिए | स्वामी दिनेश भारती, Varanasi (UP) | 2 Apr 1971 | |
102/ मार्ग चुनने के पहले स्वयं की पहचान जरूरी | सौ. लीला अयंकर, Poona | 2 Apr 1971 | |
103/ हृदय की सरलता ही तो उसका द्वार है | सुश्री प्रेमा बाई, Poona | 2 Apr 1971 | |
104/ प्यास चाहिए--पुकार चाहिए | श्री मल्लिकार्जुन सिद्ध अप्पा हिपलगे, Dhanura (Mysore) | 2 Apr 1971 | |
105/ समर्पित हृदय की अंतर्साधना | मा अमृत साधना, Poona | 2 Apr 1971 | |
106/ कांटों को गिनते रहना पागलपन है | स्वामी अक्षय सरस्वती, Jabalpur (MP) | 3 Apr 1971 | |
107/ शांति का द्वार--जीवन की समग्र स्वीकृति | श्री कृष्ण जी गणेश जोशी, Bombay | 3 Apr 1971 | |
108/ विवाद--अज्ञानियों के | स्वामी योग चिन्मय, Bombay | 10 Apr 1971 | |
109/ पूर्ण संकल्प में तुम स्वयं ही मंजिल हो | स्वामी आनंद संत, Amritsar | 13 Apr 1971 | |
110/ संसार में अभिनेता की भांति जीना योग्य है | स्वामी आनंद संत, Amritsar | 14 Apr 1971 | |
111/ सहजता ही संन्यास है | स्वामी आनंद आलोक, Sangamner | 14 Apr 1971 | |
112/ मन से मुक्ति | श्री कांतिलाल टी. सेठिया, Dhanbad (Bihar) | 15 Apr 1971 | |
113/ व्यक्ति का विसर्जन--प्रकाश में | कुमारी रजनी, Poona | 15 Apr 1971 | |
114/ अहिंसा--अनिवार्य छाया ध्यान की | स्वामी आनंद संत, Amritsar (Punjab) | 15 Apr 1971 | |
115/ विचारों का विसर्जन | कुमारी रजनी, Poona | 15 Apr 1971 | |
116/ गहरे ध्यान में दर्शन--बिंदु का | कुमारी रजनी, Poona | 15 Apr 1971 | |
117/ "स्व" से मुक्ति ही मोक्ष है | स्वामी आनंद आलोक, Sangamner (MH) | 15 Apr 1971 | |
118/ चक्रों के खुलते समय पीड़ा स्वाभाविक | मा अमृत साधना, Poona | 16 Apr 1971 | |
119/ स्वप्न-सा है--यह जीवन | श्री सुखराज जैन, Barman (MP) | 16 Apr 1971 | |
120/ सोया हुआ आदमी--जीवन के तथ्यों के प्रति | श्री सुखराज जैन, Barman (MP) | 16 Apr 1971 | |
121/ गहरी निद्रा का बोध | श्री सुखराज जैन, Barman (MP) | 16 Apr 1971 | |
122/ पकने दो--प्यास को | श्री राजेन्द्र खजांची, Savali (MH) | 16 Apr 1971 | |
123/ चित्त के दर्पण पर जन्मों-जन्मों की धूल | श्री कालूराम अग्रवाल, Jugsalai (Bihar) | 16 Apr 1971 | |
124/ प्रतिपल स्मरण रख--जीवन नाटक है | मा अमृत साधना, Poona | 17 Apr 1971 | |
125/ साधना के कीमती क्षणों में सजगता | मा अमृत साधना, Poona | 17 Apr 1971 | |
126/ नया जन्म--शरीर के पार--मन के पार | मा योग शिवानी, Ahmedabad | 18 Apr 1971 | |
127/ सत्य एक है--बस, नाम ही अनेक हैं | मा योग शिवानी, Ahmedabad | 18 Apr 1971 | |
128/ देखो अद्वैत को--पहचानो अद्वैत को | स्वामी चैतन्य प्रभु, Poona | 18 Apr 1971 | |
129/ बढ़ो, बहो--सागर की ओर | स्वामी वेदांत सागर, Rajkot | 18 Apr 1971 | |
130/ मृत्यु है द्वार--अमृत का | स्वामी अमृत सिद्धांत, Ahmedabad | 18 Apr 1971 | |
131/ जीओ जीवन को--पीओ जीवन को | स्वामी अमृत सिद्धांत, Ahmedabad | 18 Apr 1971 | |
132/ ध्यान में पूरी बाजी लगाओ | श्रीमती पुष्पा, Jalandhar (Punjab) | 19 Apr 1971 | |
133/ पीड़ा प्रार्थना बने--तो ही मुक्ति है | श्री सरदारी लाल सहगल, Amritsar (Punjab) | 19 Apr 1971 | |
134/ एक ही है मंत्र--समर्पण | श्री सरदारी लाल सहगल, Amritsar | 19 Apr 1971 | |
135/ आंसुओं से सींचना--प्रार्थना के बीज को | स्वामी चैतन्य प्रभु, Poona | 19 Apr 1971 | |
136/ अनेक द्वैतों को समाहित किए हुए--अद्वैत | मा योग लक्ष्मी, Bombay | 20 Apr 1971 | |
137/ भीतर डूबो और भीड़ को स्वयं से बाहर करो | स्वामी कृष्ण कबीर, Bombay | 18 May 1971 | |
138/ विचारों से गहरी--भावना | स्वामी आनंद परमहंस, Jabalpur | 20 May 1971 | |
139/ स्वयं में विश्वास प्रतिभा है | स्वामी आनंद परमहंस, Jabalpur | 21 May 1971 | |
140/ अंतर्ज्योति | स्वामी योग चिन्मय, Bombay | 21 May 1971 | |
141/ बस, सीधी चली आ | साध्वी चंदना, कलकत्ता | 24 May 1971 | |
142/ अविचलता से स्वयं का अनुसरण करो | स्वामी योग चिन्मय, Bombay | 25 May 1971 | |
143/ कर्मों का चट्टानी ढेर | मा योग प्रार्थना, Bombay | 6 Jun 1971 | |
144/ धैर्य और प्रतीक्षा | मा योग तारा, Bombay | 6 Jun 1971 | |
145/ समर्पण है द्वार--परम जीवन का | स्वामी रामकृष्ण भारती, Bagra Tawa (MP) | 22 Jun 1971 | |
146/ बुद्धि की सीमा | श्रीमती सुशीला सिन्हा, Patna | 5 Jul 1971 | |
147/ मृत्यु-बोध और आत्म-क्रांति | श्री नागेश्वर प्रसाद सिंह, Onta (Bihar) | 12 Dec 1971 | |
148/ बस, ज्ञान ही मुक्ति है | श्रीयुत राहुल, Agra | 28 Feb 1972 | |
149/ मन को भी जो देखता और जानता है--वही हो तुम | श्री एम. एल. राजोरिया, Jabalpur (MP) | 18 Apr 1971 | |
150/ घूंघट के पट खोल | श्री पुष्कर गोकाणी, Dwarka (GJ) | 3 Mar 1971 |
I did not translate names as i do not know Hindi well.--DhyanAntar 10:15, 27 September 2019 (UTC)