Letter written on 17 Aug 1966: Difference between revisions

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तेरा पत्र मिला तो धीरज बंधा। जिस दिन मैंने सुबह ही देवी-देवताओं से पुकार की,उसी दिन मिला इससे तेरा चमत्कार मान और भी आनंद हुआ !
तेरा पत्र मिला तो धीरज बंधा। जिस दिन मैंने सुबह ही देवी-देवताओं से पुकार की,उसी दिन मिला इससे तेरा चमत्कार मान और भी आनंद हुआ !


सच ही तू बड़ी चमत्कारी है। यही आश्चर्य है की औरों को यह पता क्यों नहीं है ?  
सच ही तू बड़ी चमत्कारी है। यही आश्चर्य है की औरों को यह पता क्यों नहीं है ?


देख ! माणिक बाबू तक को तेरे चमत्कारों की कोई खबर नहीं है ! वे बेचारे अभीतक तुझे देवी न मान,अपनी पत्नी ही माने जारहे हैं। लेकिन, अब इसके लिए कुछ करना ही होगा। सत्य का सभी को पता चलना चाहिए न ?
देख ! माणिक बाबू तक को तेरे चमत्कारों की कोई खबर नहीं है ! वे बेचारे अभीतक तुझे देवी न मान,अपनी पत्नी ही माने जारहे हैं। लेकिन, अब इसके लिए कुछ करना ही होगा। सत्य का सभी को पता चलना चाहिए न ?
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महासति चन्दनकुंवर का पत्र मिला है। उसका प्रत्युत्तर साथ है।  
महासति चन्दनकुंवर का पत्र मिला है। उसका प्रत्युत्तर साथ है।  


मैं १४ सित. पूना पहुँच रहा हूँ, संध्या को। केवल १५-१६ वहां रहूँगा। १६ की संध्या बम्बई के लिए निकलूंगा। थोड़ा ही समय पूना में है और चन्दना जी को मिलना संभव होसके ऐसी व्यवस्था कर लेना। संभव हो और यदि वे दो दिन अपने निकट ही कहीं आकर रुक सकें तो अच्छा है। 'स्माईन लक्झूरी' में ही यदि कोई फ्लेट खाली हो,तो उन्हें वही ठहराया जा सकता है।  
मैं १४ सित. पूना पहुँच रहा हूँ, संध्या को। केवल १५-१६ वहां रहूँगा। १६ की संध्या बम्बई के लिए निकलूंगा। थोड़ा ही समय पूना में है और चन्दना जी को मिलना संभव होसके ऐसी व्यवस्था कर लेना। संभव हो और यदि वे दो दिन अपने निकट ही कहीं आकर रुक सकें तो अच्छा है। 'र्स्पाटन लक्जुरी' में ही यदि कोई फ्लेट खाली हो,तो उन्हें वही ठहराया जा सकता है।  


माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष।  
माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष।  
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;See also
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:[[Letters to Sohan ~ 073]] - The event of this letter.
:[[Letters to Sohan ~ 073]] - The event of this letter.
:[[Letters to Sohan and Manik]] - Overview page of these letters.
:[[Letters to Sohan and Manik]] - Overview page of these letters.

Revision as of 05:20, 8 March 2020

Letter written to Ma Yoga Sohan on 17 Aug 1966. It is unknown if it has been published or not.

प्यारी सोहन,
तेरा पत्र मिला तो धीरज बंधा। जिस दिन मैंने सुबह ही देवी-देवताओं से पुकार की,उसी दिन मिला इससे तेरा चमत्कार मान और भी आनंद हुआ !

सच ही तू बड़ी चमत्कारी है। यही आश्चर्य है की औरों को यह पता क्यों नहीं है ?

देख ! माणिक बाबू तक को तेरे चमत्कारों की कोई खबर नहीं है ! वे बेचारे अभीतक तुझे देवी न मान,अपनी पत्नी ही माने जारहे हैं। लेकिन, अब इसके लिए कुछ करना ही होगा। सत्य का सभी को पता चलना चाहिए न ?

महासति चन्दनकुंवर का पत्र मिला है। उसका प्रत्युत्तर साथ है।

मैं १४ सित. पूना पहुँच रहा हूँ, संध्या को। केवल १५-१६ वहां रहूँगा। १६ की संध्या बम्बई के लिए निकलूंगा। थोड़ा ही समय पूना में है और चन्दना जी को मिलना संभव होसके ऐसी व्यवस्था कर लेना। संभव हो और यदि वे दो दिन अपने निकट ही कहीं आकर रुक सकें तो अच्छा है। 'र्स्पाटन लक्जुरी' में ही यदि कोई फ्लेट खाली हो,तो उन्हें वही ठहराया जा सकता है।

माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष।

श्री० पुंगलियाजी को फोन से इतना कह देना कि मैंने पारसमल जी बोरा को नासिक पत्र लिख दिया है।

रजनीश के प्रणाम

१७/८/१९६६

See also
Letters to Sohan ~ 073 - The event of this letter.
Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.