Letter written on 27 May 1966: Difference between revisions

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मेरे प्रिय,<br>
मेरे प्रिय,<br>
प्रेम। उदयपुर तुम्हारी प्रतीक्षा रही।क्यों नही आ सके? फिर तुम्हारा कोई पत्र भी नहीं है। 'ज्योतिशिखा' के लिए जो लेख भेज है, उसका शेषांश भी शीघ्र भेज दो। उसे श्री रमणभाई को ही भेज देना। उदयपुर जाने के दो-तीन दिन पूर्व तुम्हारा पत्र मिला था। मैं इसलिए उत्तर नहीं दिया कि तुम तो शिविर आ ही रहे हो! स्वास्थ्य तो ठीक है न? और नए स्थान और वृत्ति की चिंता में बहुत तो नहीं उलझे हो?
प्रेम। उदयपुर तुम्हारी प्रतीक्षा रही। क्यों नही आ सके? फिर तुम्हारा कोई पत्र भी नहीं है। 'ज्योतिशिखा' के लिए जो लेख भेजा है, उसका शेषांश भी शीघ्र भेज दो। उसे श्री. रमणभाई को ही भेज देना। उदयपुर जाने के दो-तीन दिन पूर्व तुम्हारा पत्र मिला था। मैं इसलिए उत्तर नहीं दिया कि तुम तो शिविर में आ ही रहे हो! स्वास्थ्य तो ठीक है न? और नए स्थान और वृत्ति की चिंता में बहुत तो नहीं उलझे हो?


रजनीश के प्रणाम
रजनीश के प्रणाम

Revision as of 04:16, 1 October 2023

Letter written to Pratap J. Toliya on 27 May 1966. It is unknown if it has been published or not.

Sw Satya Anuragi kindly shared this and other 17 letters to Pratap.


२७/५/१९६६
जबलपुर

मेरे प्रिय,
प्रेम। उदयपुर तुम्हारी प्रतीक्षा रही। क्यों नही आ सके? फिर तुम्हारा कोई पत्र भी नहीं है। 'ज्योतिशिखा' के लिए जो लेख भेजा है, उसका शेषांश भी शीघ्र भेज दो। उसे श्री. रमणभाई को ही भेज देना। उदयपुर जाने के दो-तीन दिन पूर्व तुम्हारा पत्र मिला था। मैं इसलिए उत्तर नहीं दिया कि तुम तो शिविर में आ ही रहे हो! स्वास्थ्य तो ठीक है न? और नए स्थान और वृत्ति की चिंता में बहुत तो नहीं उलझे हो?

रजनीश के प्रणाम


See also
Letters to Pratap ~ 05 - The event of this letter.