Letter written on 13 Apr 1966 (2): Difference between revisions
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मेरे प्रिय,<br> | मेरे प्रिय,<br> | ||
प्रेम। पत्र मिला है। जो लिखना चाहते हो, उसे लिख डालो। कल पर छोड़ना कभी भी शुभ नहीं है। आज और अभी के अतिरिक्त्त कुछ भी अपना नहीं है। 'कल' से ज्यादा असत्य कोई शब्द ही नहीं है। जो क्षण | प्रेम। पत्र मिला है। जो लिखना चाहते हो, उसे लिख डालो। कल पर छोड़ना कभी भी शुभ नहीं है। आज और अभी के अतिरिक्त्त कुछ भी अपना नहीं है। 'कल' से ज्यादा असत्य कोई शब्द ही नहीं है। जो क्षण साधते है, वही सत्य है। उसमें ही होना और उसमें ही जीना है। | ||
मनुष्य-हृदय में बहुत कुछ | मनुष्य-हृदय में बहुत कुछ छिपा है। उस छोटी-सी बून्द में बड़े सागर है।<br> | ||
जो वर्तमान में जीता और जागता है, वही जान पाता है कि क्षुद्र सी देह में विराट शक्तियों का आवास है। | जो वर्तमान में जीता और जागता है, वही जान पाता है कि क्षुद्र-सी देह में विराट शक्तियों का आवास है। | ||
वहां सबको मेरा प्रेम कहना। संभव है कि जुलाई में अहमदाबाद आऊँ। अभी तो १४, १५, १६, १७ अप्रैल बम्बई बोल रहा हूँ। आज ही संध्या वहां के लिए निकलूंगा। <u>१५, १६, १७ मई उदयपुर</u> शिविर हो रहा है। वहां आओ तो अच्छा है। वहां के संयोजक है:<br> | वहां सबको मेरा प्रेम कहना। संभव है कि जुलाई में अहमदाबाद आऊँ। अभी तो १४, १५, १६, १७ अप्रैल बम्बई बोल रहा हूँ। आज ही संध्या वहां के लिए निकलूंगा। <u>१५, १६, १७ मई उदयपुर</u> शिविर हो रहा है। वहां आओ तो अच्छा है। वहां के संयोजक है:<br> |
Revision as of 04:23, 1 October 2023
Letter written to Pratap J. Toliya on 13 Apr 1966. It is unknown if it has been published or not.
Sw Satya Anuragi kindly shared this and other 17 letters to Pratap.
मेरे प्रिय, मनुष्य-हृदय में बहुत कुछ छिपा है। उस छोटी-सी बून्द में बड़े सागर है। वहां सबको मेरा प्रेम कहना। संभव है कि जुलाई में अहमदाबाद आऊँ। अभी तो १४, १५, १६, १७ अप्रैल बम्बई बोल रहा हूँ। आज ही संध्या वहां के लिए निकलूंगा। १५, १६, १७ मई उदयपुर शिविर हो रहा है। वहां आओ तो अच्छा है। वहां के संयोजक है: रजनीश के प्रणाम जबलपुर. |
- See also
- Letters to Pratap ~ 04 - The event of this letter.