Mukta Gagan Ke Panchhi (मुक्त गगन के पंछी)
- ओशो द्वारा सूफी, झेन एवं उपनिषद की कहानियों एवं बोध-कथाओं पर दिए गए सुबोधगम्य 19 अमृत-प्रवचनों की श्रृंखला ‘बिन बाती बिन तेल’ में से संकलित पांच (16 से 19) प्रवचन। जिसके अनुसार बुद्धों के पास तुम पंख फड़फड़ाना न सीखो तो और कुछ सीखने को वहां है भी नहीं। यही तो प्रवचन है यही उनका संदेश है, कि तुम उड़ सकते हो मुक्त आकाश में। तुम मुक्त गगन के पक्षी हो। तुम व्यर्थ ही डरे हो। तुम भूल ही गए हो कि तुम्हारे पास पंख हैं तुम पैरों से चल रहे हो। तुम आकाश में उड़ सकते थे। थोड़ा फड़फड़ाओ ताकि तुम्हें भरोसा आ जाए। ध्यान फड़फड़ाहट है पंखों की, उन पंखों की जो उड़ सकते हैं, दूर आकाश में जा सकते हैं
- notes
- Originally published as ch.16-19 of Bin Bati Bin Tel (बिन बाती बिन तेल).
- time period of Osho's original talks/writings
- Jul 6, 1974 to Jul 9, 1974 : timeline
- number of discourses/chapters
- 4 (see table of contents)
editions
Mukta Gagan Ke Panchhi (मुक्त गगन के पंछी)
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Mukta Gagan Ke Panchhi (मुक्त गगन के पंछी)
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table of contents
edition 2003 chapter titles |
discourses | |||||||
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event | location | duration | media | |||||
1 | साधु, असाधु और संत | 6 Jul 1974 am | Lao Tzu balcony, Poona | 1h 15min | audio | |||
2 | अहंकार की उलझी पूंछ | 7 Jul 1974 am | Lao Tzu balcony, Poona | 1h 15min | audio | |||
3 | वासना-रहितता और विशुद्ध इंद्रियां | 8 Jul 1974 am | Lao Tzu balcony, Poona | 1h 20min | audio | |||
4 | चल उड़ जा रे पंछी | 9 Jul 1974 am | Lao Tzu balcony, Poona | 0h 59min | audio |