Letter written on 26 Jan 1966 (3)

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Letter written to Pratap J. Toliya on 26 Jan 1966. It is unknown if it has been published or not.

Sw Satya Anuragi kindly shared this and other 17 letters to Pratap.


Acharya Rajnish

Jeevan Jagruti Kendra, 115, Napier Town, Jabalpur (M.P.)

२६/१/१९६६

मेरे प्रिय आत्मन,
प्रेम। आपका पत्र!

मैं प्रवास में था। कल ही लौटा हूँ,इसलिए प्रत्युत्तर में हो रहे विलम्ब के लिए क्षमा प्रार्थी हूं।

साहित्य तो मेरा क्या है? कुछ जो बोला हूं, वही संकलित कर लिया गया है। वस्तुतः, शब्द में मेरी आस्था नहीं है। शब्द नहीं, शून्य जीवन में ले जाता है। फिर भी जो इंगीत है वह तो शब्द में ही कटते लड़ते हैं। वह विवशता है। यह सब तो है ही कि कहीं शब्द ही न पकड़ लिए जायें? धर्म के साथ सदा ही यही हुआ है। धर्म तो निशब्द अनुभूति है, लेकिन संप्रदायों के प्राण तो निष्प्राण शब्द ही हैं।

साहित्य नहीं,प्रश्न सत्य का है।

जल्दी ही मिल रहे हैं। शेष बात मिलकर ही होगी।जो शब्द संकलित हुए हैं,वे भी तुलसी श्याम में मिल जाएंगे/ वैसे इसका कोई मूल्य नहीं है।

वहां सबको मेरा प्रेम कहें।

रजनीश के प्रणाम


See also
Letters to Pratap ~ 01 - The event of this letter.