प्यारी सोहन,
प्रेम। कल रात्रि जब सारे नगर में दिये ही दिये जले हुए थे तो मैं सोच रहा था कि मेरी सोहन ने भी दिये जलाये होंगे -- और उन दीयों में से कुछ तो निश्चय ही मेरे लिए ही होंगे ! और फिर वे दिये मुझे दिखाई देने लगे जो कि तूने जलाये थे और वे दिये भी जो कि सदा ही तेरा प्रेम जलाये हुए है।
मैं कल और यहां रुकूंगा । सबसे तेरी बातें कहीं हैं और सभी तुझे देखने को उत्सुक होगये हैं।
माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष ।
रजनीश के प्रणाम
२५/१०/१९६५
Partial translation
"I will stay here (Gadarwara) still for tomorrow."