Nari Aur Kranti (नारी और क्रान्ति) (6 talks)
- "नारी-मुक्ति के आंदोलन ने सतही रूप में नारी को उसकी परतंत्रता से मुक्त करने का दावा तो भरा लेकिन यह एक रिएक्शन बन कर रह गया। परिणाम—पुरुष से घृणा। छह प्रवचनों की यह छोटी सी संग्रह। नारी के वास्तविक अस्तित्व का आईना है—किसी रिश्ते के रूप में नहीं, बस नारी के रूप में। तब वह कोई भी रूप हो—मां, बहन, प्रेमिका या बेटी—वह अपना प्रेम, अपनी ऊर्जा को सभी में सम्प्रेषित करने की क्षमता रखती है। सदियों के इतिहास में कोई भी ऐसा प्रबुद्ध पुरुष न हुआ जो नारी का वास्तविक कल्याणमित्र हो। ओशो ने नारी को उसकी जंजीरों से, उसकी बैसाखियों से इस प्रकार मुक्त किया है कि वह अपने पैरों पर चलने का अर्थ यह नहीं निकालती कि अब उसे पुरुष की आवश्यकता नहीं बल्कि पुरुष के साथ-साथ चलने की उसकी गति भी छंदबद्ध हो जाती है। उन दोनों के संबंध संगीतपूर्ण हो जाते हैं।"
- notes
- Not to be confused with Nari Aur Kranti (नारी और क्रान्ति) (4 talks), 4 talks, which is a part of Sambhog Se Samadhi Ki Or (संभोग से समाधि की ओर).
- Title means, "Women and Revolution". See discussion for discourse titles and publishing anomalies and variations.
- time period of Osho's original talks/writings
- 1969-1971 ? : timeline
- number of discourses/chapters
- 6
editions
Nari Aur Kranti (नारी और क्रान्ति) (6 talks)
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Nari Aur Kranti (नारी और क्रान्ति) (6 talks)
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Nari Aur Kranti (नारी और क्रान्ति) (6 talks)एक आग चाहिए जो बदल दे नारी के पुराने सारे ढांचे के (Ek Aag Chahie Jo Badala De Nari Ke Purane Sare Dhanche Ke)
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Nari Aur Kranti (नारी और क्रान्ति) (6 talks)एक आग चाहिए जो बदल दे नारी के पुराने सारे ढांचे के (Ek Aag Chahie Jo Badala De Nari Ke Purane Sare Dhanche Ke)
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