Deepak Bara Naam Ka (दीपक बारा नाम का)
- दीपक बारा नाम का! इसे यूं पढ़ना: शून्य का दिया जलाया। शब्दातीत, शास्त्रातीत, अनिवर्चनीय, समाधि का दीया जलाया। न वहां कुछ कहने को है, न कुछ समझने को है, न कुछ सुनने को है; वहां गहन मौन है, समग्र मौन है। जरा भी चहल-पहल नहीं। जरा भी शोरगुल नहीं। झेन फकीर उस अवस्था को कहते हैं एक हाथ से बजाई गई ताली। दो हाथ से बजाओगे तो आवाज होगी। एक हाथ से ताली बजती है, मगर आवाज नहीं होती।
- notes
- Discourse 4 also published later as chapter 1 of Kranti Sutra: Sakshi Bhav (क्रांति सूत्रः साक्षी भाव). See discussion for TOC
- time period of Osho's original talks/writings
- from Oct 1, 1980 to Oct 10, 1980 : timeline
- number of discourses/chapters
- 10
editions
Deepak Bara Naam Ka (दीपक बारा नाम का)
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