Krantibeej (क्रांतिबीज)
- "कुछ क्रांतिबीज हवाएं मुझसे लिये जा रही हैं। मुझे कुछ ज्ञात नहीं कि वे किन खेतों में पहुचेंगे, और कौन उन्हें सम्हालेगा। मैं तो इतना ही जानता हूं, उनसे ही मुझे जीवन के, अमृत के, और प्रभु के फूल उपलब्ध हुए हैं, और जिस खेत में भी वे पड़ेंगे, वहीं की मिट्टी अमृत के फूलों में परिणत हो जाएगी।" (Osho)
- notes
- Previously published as Kranti Beej (क्रांति बीज)
- time period of Osho's original talks/writings
- Letters written from 1960 - 1964 : timeline
- number of discourses/chapters
- 120
editions
Krantibeej (क्रांतिबीज)
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