Hira Payo Ganth Gathiyayo (Kabir-Vani) (हीरा पायो गांठ गठियायो (कबीर-वाणी))
- कबीर एक महान समन्वय हैं एक संगम-जैसे प्रयागराज एक तीर्थ-जहां जो भी श्रेष्ठ है, वह सभी संयुक्त हो गया है। गंगा, यमुना, सरस्वती तीनों वहां मिल गई हैं। ज्ञान, कर्म और भक्ति, तीनों का वहां मेल हो गया है। ओशो द्वारा कबीर-वाणी पर दिए गए अमृत प्रवचनों के संकलन ‘सुनो भई साधो’ के लिए गए पांच (6-10) प्रवचन इस प्रस्तक में संकलित हैं।
- notes
- Not to be confused with Hira Payo Ganth Gathiyayo (हीरा पायो गांठ गठियायो), the book of Ma Prem Shunyo (मा प्रेम शुन्यो).
- Originally published as ch.6-10 of Suno Bhai Sadho (सुनो भई साधो).
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
editions
Hira Payo Ganth Gathiyayo (Kabir-Vani) (हीरा पायो गांठ गठियायो (कबीर-वाणी))
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