Letter written on 13 Aug 1966 (Sohan): Difference between revisions

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Letter written to [[Ma Yoga Sohan]] on 13 Aug 1966. It is unknown if it has been published or not.
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हे सोहन देवी !
क्या आप नाराज होगई है?
अहिर्निश पत्र की प्रतीक्षा है। डाकिया -देव आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन आपके ह्रदय की कठोरता नहीं पिघलती सो नहीं पिघलती !
डाकिया-देव यदि आज भी आपका सुसमाचार न लाये तो बड़े देवी-देवताओं को सीरनी बोलने का विचार किया है !
हे देवी ! ऐसी मुख-मुद्रा तो आपने कभी भी प्रगट न की थी ? क्या कलियुग में नये अभ्यास कर रहीं हैं ?
मैं तो दूर हूँ। किन्तु बेचारे माणिक बाबू का क्या होगा ? वे तो मंदिर के पुरोहित ही ठहरे !
वैसे आप की कृपा से यहां सब कुशल है। लेकिन शीघ्र ' प्रसन्न मुख-मुद्रा ' प्रगट कीजिए, जिससे धैर्य बंधे।
रजनीश के प्रणाम
१३ अगस्त १९६६
पुनश्चः अभी अभी पुजारी जी का तार जरूर मिला है। पर आपके स्वयं के शब्दों के बिना आश्वासन कहां ?
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Letter written to [[Ma Yoga Sohan]] on 13 Aug 1966. It is unknown if it has been published or not. We are awaiting a transcription and translation.





Revision as of 11:37, 7 March 2020

Letter written to Ma Yoga Sohan on 13 Aug 1966. It is unknown if it has been published or not.

हे सोहन देवी !

क्या आप नाराज होगई है?

अहिर्निश पत्र की प्रतीक्षा है। डाकिया -देव आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन आपके ह्रदय की कठोरता नहीं पिघलती सो नहीं पिघलती !

डाकिया-देव यदि आज भी आपका सुसमाचार न लाये तो बड़े देवी-देवताओं को सीरनी बोलने का विचार किया है !

हे देवी ! ऐसी मुख-मुद्रा तो आपने कभी भी प्रगट न की थी ? क्या कलियुग में नये अभ्यास कर रहीं हैं ?

मैं तो दूर हूँ। किन्तु बेचारे माणिक बाबू का क्या होगा ? वे तो मंदिर के पुरोहित ही ठहरे !

वैसे आप की कृपा से यहां सब कुशल है। लेकिन शीघ्र ' प्रसन्न मुख-मुद्रा ' प्रगट कीजिए, जिससे धैर्य बंधे।

रजनीश के प्रणाम

१३ अगस्त १९६६

पुनश्चः अभी अभी पुजारी जी का तार जरूर मिला है। पर आपके स्वयं के शब्दों के बिना आश्वासन कहां ?


See also
Letters to Sohan ~ 072 - The event of this letter.
Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.