Moun Samadhi (मौन समाधि): Difference between revisions
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description =सूफी बोध - कथाओं पर प्रवचन सदी के महान गुरु, दिव्य दृष्टा और तत्वज्ञानी ओशो ने सूफ़ी बोध - कथाओं पर अपने प्रवचनों में उन दरवेशों के अंतर्ज्ञान और बाह्य जगत के साथ उनके सरोकारों को समाहित किया है और उदाहरण सहित व्याख्याएं प्रस्तुत की हैं। वह कहते हैं - ...एक फ़क़ीर या सद्गुरु सत्य दिखा सकता है, जहां तुम पहंुच सकते हो। वह उस मार्ग की ओर संकेत कर सकता है और मन को निर्मल करने की विधियों को बता सकता है। तुम्हारे मन के संदेहों से मुक्त करके अंदर के कोलाहल को वश में करवा सकता है। तुम्हारे अंदर निरंतर चलने वाली अंतर्वार्ता को रोकने में सहायता करता है, ताकि शांत और मौन रहकर सत्य को खोज सको। सत्य सब जगह मौजूद है, केवल चित्त को शांत और मौन रखना होगा। ओशो ने अंतर्यात्रा के आरंभ होने के बारे में बताया है कि तुम्हारे अस्तित्व में परमात्मा की पहली झलक तभी दिखेगी, जब तुम प्रेम करना सीख जाओगे। इसके लिए कानों को ‘बंद कर लो’ और ‘मौन हो जाओ’, मौन की समाधि में चले जाओ। | | description =सूफी बोध - कथाओं पर प्रवचन सदी के महान गुरु, दिव्य दृष्टा और तत्वज्ञानी ओशो ने सूफ़ी बोध - कथाओं पर अपने प्रवचनों में उन दरवेशों के अंतर्ज्ञान और बाह्य जगत के साथ उनके सरोकारों को समाहित किया है और उदाहरण सहित व्याख्याएं प्रस्तुत की हैं। वह कहते हैं - ...एक फ़क़ीर या सद्गुरु सत्य दिखा सकता है, जहां तुम पहंुच सकते हो। वह उस मार्ग की ओर संकेत कर सकता है और मन को निर्मल करने की विधियों को बता सकता है। तुम्हारे मन के संदेहों से मुक्त करके अंदर के कोलाहल को वश में करवा सकता है। तुम्हारे अंदर निरंतर चलने वाली अंतर्वार्ता को रोकने में सहायता करता है, ताकि शांत और मौन रहकर सत्य को खोज सको। सत्य सब जगह मौजूद है, केवल चित्त को शांत और मौन रखना होगा। ओशो ने अंतर्यात्रा के आरंभ होने के बारे में बताया है कि तुम्हारे अस्तित्व में परमात्मा की पहली झलक तभी दिखेगी, जब तुम प्रेम करना सीख जाओगे। इसके लिए कानों को ‘बंद कर लो’ और ‘मौन हो जाओ’, मौन की समाधि में चले जाओ। | | ||
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Revision as of 07:39, 12 May 2019
- सूफी बोध - कथाओं पर प्रवचन सदी के महान गुरु, दिव्य दृष्टा और तत्वज्ञानी ओशो ने सूफ़ी बोध - कथाओं पर अपने प्रवचनों में उन दरवेशों के अंतर्ज्ञान और बाह्य जगत के साथ उनके सरोकारों को समाहित किया है और उदाहरण सहित व्याख्याएं प्रस्तुत की हैं। वह कहते हैं - ...एक फ़क़ीर या सद्गुरु सत्य दिखा सकता है, जहां तुम पहंुच सकते हो। वह उस मार्ग की ओर संकेत कर सकता है और मन को निर्मल करने की विधियों को बता सकता है। तुम्हारे मन के संदेहों से मुक्त करके अंदर के कोलाहल को वश में करवा सकता है। तुम्हारे अंदर निरंतर चलने वाली अंतर्वार्ता को रोकने में सहायता करता है, ताकि शांत और मौन रहकर सत्य को खोज सको। सत्य सब जगह मौजूद है, केवल चित्त को शांत और मौन रखना होगा। ओशो ने अंतर्यात्रा के आरंभ होने के बारे में बताया है कि तुम्हारे अस्तित्व में परमात्मा की पहली झलक तभी दिखेगी, जब तुम प्रेम करना सीख जाओगे। इसके लिए कानों को ‘बंद कर लो’ और ‘मौन हो जाओ’, मौन की समाधि में चले जाओ।
- translated from
- English: Sufis: The People of the Path, Vol 2, ch 9-15
- notes
- See Talk:Abhi, Yahin, Yah (अभी, यहीं, यह) for other translations from Sufis, Vols 1 and 2.
- time period of Osho's original talks/writings
- Sep 4, 1977 to Sep 10, 1977 : timeline
- number of discourses/chapters
- 7
editions
Moun Samadhi (मौन समाधि)सूफ़ी : बोध-कथाओं पर प्रवचन
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