Nayee Kranti Ki Ruparekha (नयी क्रान्ति की रूपरेखा)
- ओशो के प्रखर विचारों ने, ओजस्वी वाणी ने मनुष्यता के दुश्मनों, संप्रदायों, मठाधीशों, राजनेताओं पर जोरदार प्रहार किया। प्रस्तुत पुस्तक में नई क्रांति का बिगुल भी फूंकते हैं। इसकी रूपरेखा तैयार करते हुए वे गांधी के चिंतन पर भी सवाल उठाते हैं तथा उसे नैतिक पर अवैज्ञानिक कहते हैं। साथ ही भौतिक समृद्धि को अध्यात्म का आधार बताते हैं इसके लिए वे वैज्ञानिक चिंतन का महत्व देते हैं।
- notes
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
- 6
editions
Nayee Kranti Ki Ruparekha (नयी क्रान्ति की रूपरेखा)
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