Shiksha: Nae Prayog (शिक्षा : नए प्रयोग): Difference between revisions

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Revision as of 09:31, 8 November 2018


ओशो कहते हैं कि चित्‍त को इतना बोझिल, जटिल और बूढ़ा कर दे कि उसका जीवन से सीधा संपर्क छिन्‍न-भिन्‍न हो जाए तो यह शुभ नहीं है। बोझिल और बूढ़ा चित्‍त जीवन के ज्ञान, आनंद और सौंदर्य सभी से वंचित रह जाता है। ज्ञान, आनंद और सौंदर्य की अनुभूति के ि‍लए तो युवा चित्‍त चाहिए। शरीर तो बूढ़ा होने को आबद्ध है लेकिन चित्‍त नही। चित्‍त तो सदा युवा रह सकता है। मृत्‍यु के अंतिम क्षण तक चित्‍त युवा रह सकता है, और ऐसा चित्‍त ही जीवन और मृत्‍यु के रहस्‍यों को जान पाता है। ऐसा चित्‍त ही धार्मिक चित्‍त है। शिक्षा के क्षे7 में ओशो के नए प्रयोगो को जानिए।
notes
time period of Osho's original talks/writings
(unknown)
number of discourses/chapters
8


editions

Shiksha: Nae Prayog (शिक्षा : नए प्रयोग)

Year of publication : 2007
Publisher : Diamond Pocket Books
ISBN 81-288-1446-X (click ISBN to buy online)
Number of pages : 224
Hardcover / Paperback / Ebook : P
Edition notes :