Us: Path Ke Pathik (उस : पथ के पथिक): Difference between revisions
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Revision as of 03:52, 13 May 2019
- सूफ़ी धर्म में एक ख़ास तरह का आकर्षण है, एक अनूठे किस्म का जादू है, जो किसी किताब या धर्मशास्त्र से नहीं, केवल एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित किया जा सकता है... ...एक सूफ़ी के लिए परमात्मा एक विचार नहीं है, वह उसी के वास्तविक अस्तित्व में जीवित रहता है। वह ऊपर कहीं स्वर्ग में किसी सिंहासन पर नहीं बैठा हुआ है, नहीं, वह अभी और यहीं है। वह हर ओर, हर कहीं, प्रत्येक स्थान पर है। इस सम्पूर्ण अस्तित्व का नाम ही परमात्मा है।... ...सूफ़ी वर्तमान में जीता है। वर्तमान में जीने के लिए जो मूल आवश्यकता है, वह है, अतीत से अपने को बाहर निकाल लेना और साथ ही आने वाले भविष्य से भी अलग कर लेना!... ...स्मरण रहे, सूफ़ी धर्म प्रेम का मार्ग है!... सदी के महान गुरु ओशो की अद्भुत - अपूर्व वाणी से बिखरे सूफ़ी पथ के रूहानी मोती - जवाहर, जिनकी चकाचौंध में ‘उस’ पथ का पथिक बढ़ता चला जाता है।
- translated from
- English: Sufis: The People of the Path, Vol 1, ch 1-8
- notes
- See Talk:Abhi, Yahin, Yah (अभी, यहीं, यह) for other translations from Sufis, Vols 1 and 2.
- time period of Osho's original talks/writings
- Aug 11, 1977 to Aug 18, 1977 : timeline
- number of discourses/chapters
- 8
editions
Us: Path Ke Pathik (उस : पथ के पथिक)
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