Ajhun Chet Ganwar (अजहूं चेत गंवार)
- प्रेम के अतिरिक्त कोई श्रवण नहीं है।
- तो यारी पहले बननी चाहिए। प्रेम पहले बनना चाहिए, तब ज्ञान। प्रेम के पीछे आता है ज्ञान। और जिसने सोचा कि ज्ञान के पीछे प्रेम आएगा, वह भूल में पड़ा। उसने बैल पीछे बांध दिए गाड़ी के। यह गाड़ी अब कहीं जाएगी नहीं। प्रेम पहले आता है। भाव पहले आता है। हृदय पहले आता है¬- -तब सिर। जिसने सोचा कि पहले सिर, फिर हृदय को ले आएंगे, वह कभी भी नहीं ला पाएगा। क्योंकि सिर तो हृदय के खिलाफ है और हृदय को कभी उमगने न देगा। सिर तो संदेह है। और हृदय है आस्था, श्ऱद्धा। तो सिर तो हजार उपाय करेगा संदेह खड़े करने के। सिर में तो संदेह ही लगता है। सिर से कभी श्रद्धा नहीं होती। श्रद्धा हृदय से होती है। सरलचितता चाहिए। विनम्रता चाहिए। अकड़ का अभाव चाहिए। प्रेम में पड़ने की हिम्मत चाहिए।
- notes
- Talks on Paltu Das, an 18th century Bhakti Yogi from Ayodhya, given in Pune. This is the first of Osho's three books on Paltu, all fairly hefty at ~20 discourses. The others are Sapna Yah Sansar (सपना यह संसार) and Kahe Hot Adheer (काहे होत अधीर). See discussion for a TOC and some moaning about the lack of a consensus transliteration.
- Chapters 11-21 published under another title - Avasar Beeta Jaye (अवसर बीता जाये).
- time period of Osho's original talks/writings
- Jul 21, 1977 to Aug 10, 1977 : timeline
- number of discourses/chapters
- 21
editions
Ajhun Chet Ganwar (अजहूं चेत गंवार)
publisher: Ma Yoga Laxmi
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Ajhun Chet Ganwar (अजहूं चेत गंवार)पलटू-वाणी पर प्रवचन (Paltu-Vani Par Pravachan)
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Ajhun Chet Ganwar (अजहूं चेत गंवार)
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