|
|
(10 intermediate revisions by 2 users not shown) |
Line 1: |
Line 1: |
| [[image:uc5.jpg|160px|center]]
| |
|
| |
| ===TOC and other info===
| |
| (supplied by Shailendra)
| |
|
| |
| {| class = "wikitable" style="margin-left: 20px;"
| |
| |-
| |
| | Title || Date || Recipient
| |
| |-
| |
| | 1. अहं अज्ञान है--प्रेम ज्ञान है || -- || Sadhvi Chandana
| |
| |-
| |
| | 2. प्यास की पीड़ा ही अंततः प्राप्ति बन जाता है || Jul 6, 1966 || Sadhvi Chandana
| |
| |-
| |
| | 3. मृत परंपराओं व दासताओं से मुक्ति || Jul 15, 1966 || Sadhvi Chandana
| |
| |-
| |
| | 4. सत्य के पथ पर अडिग और अदम्य साहस आवश्यक || Aug 17, 1966 || Sadhvi Chandana
| |
| |-
| |
| | 5. नये जन्म की प्रसव-पीड़ा--रिक्तता व अभाव का साक्षात || Sep 10, 1966 || Sadhvi Chandana
| |
| |-
| |
| | 6. मन के घास-फसों की सफाई || Oct 10, 1966 || Sadhvi Chandana
| |
| |-
| |
| | 7. धन का अंधापन || Oct 7, 1967 || Sadhvi Chandana
| |
| |-
| |
| | 8. विश्वास-अविश्वास के द्वंद्व से शून्य मन || Aug 10, 1968 || Sadhvi Chandana
| |
| |-
| |
| | 9. साधुता--कांटों में रह कर फल बने रहने की क्षमता || Sep 10, 1968 || Sadhvi Chandana
| |
| |-
| |
| | 10. समय के साथ नया होना ही जीवन है || Jan 9, 1969 || Sadhvi Chandana
| |
| |-
| |
| | 11. ‘जो है’ उसी का नाम ईश्वर है || Mar 5, 1969 || Sri Pushkar Gokani, Dwarka GJ
| |
| |-
| |
| | 12. असुरक्षा का स्रोत--सुरक्षा की अति आतुरता || Jan 5, 1971 || [[Ma Yoga Kranti]], Jabalpur
| |
| |-
| |
| | 13. जीओ पल-पल न टालो कल पर || Jan 7, 1971 || [[Ma Yoga Kranti]], Jabalpur
| |
| |-
| |
| | 14. ज्ञान-सूत्र--‘यह भी बीत जाएगा’ || Jan 10, 1971 || [[Ma Yoga Kranti]], Jabalpur
| |
| |-
| |
| | 15. प्रार्थना में शब्द नहीं--सुने जाते हैं भाव || Jan 14, 1972** || [[Sw Yoga Chinmaya]], Bombay
| |
| |-
| |
| | 16. धर्म अभिव्यक्ति की सतत रूपांतरण प्रक्रिया || Jan 25, 1971 || [[Sw Yoga Chinmaya]], Bombay
| |
| |-
| |
| | 17.ईर्ष्या के सूक्ष्म हैं यात्रा-पथ || Jan 27, 1971 || [[Sw Yoga Chinmaya]], Bombay
| |
| |-
| |
| | 18. यही जवाब है इसका कि कुछ जवाब नहीं || -- || Sri Indraraj Anand, Bombay
| |
| |-
| |
| | 19. स्वीकार से--शांति, शून्यता और रूपांतरण || Jan 28, 1971 || Sri Indraraj Anand, Bombay
| |
| |-
| |
| | 20. प्रतीक्षारत तैयारी--विस्फोट को झेलने की || Jan 29, 1971 || [[Sw Yoga Chinmaya]], Bombay
| |
| |-
| |
| | 21. अहंकार चुराने वाले चोर || Jan 29, 1971 || Sri Indraraj Anand, Bombay
| |
| |-
| |
| | 22. मिटने की तैयारी रख || Jan 29, 1971 || Smt Neela, Vileparle, Bombay
| |
| |-
| |
| | 23. एक ही भासता है अनेक || Jan 29, 1971 || Sri Rajneekant, Rajkot GJ
| |
| |-
| |
| | 24. स्वीकार से दुख का विसर्जन || Jan 29, 1971 || Sri Dasbhai Patel, Bijapur GJ
| |
| |-
| |
| | 25. जन्मों का अंधेरा और ध्यान का दिया || Jan 29, 1971 || [[Lala Sundarlal Jain|Sri Lala Sunderlal Ji]], Javaharnagar, Delhi
| |
| |-
| |
| | 26. प्रार्थना, श्रद्धा, समर्पण--बाह्य नहीं आंतरिक घटनाएं || Feb 10, 1971 || [[Ma Yoga Laxmi]], Bombay
| |
| |-
| |
| | 27. आनंद का राज--न चाह सुख की, न भय दुख का || Feb 10, 1971 || [[Ma Yoga Kranti]], Jabalpur
| |
| |-
| |
| | 28. शब्दों की यात्रा में सत्य की मृत्यु || Feb 11, 1971 || [[Ma Yoga Kranti]], Jabalpur
| |
| |-
| |
| | 29. जीवन है--दुर्लभ अवसर || Feb 12, 1971 || S Rama Patel, Ahmedabad
| |
| |-
| |
| | 30. एकमात्र संपत्ति--परमात्म--श्रद्धा || Feb 12, 1971 || [[Sw Yoga Chinmaya]], Bombay
| |
|
| |
| |}
| |
| === Pre-info speculation === | | === Pre-info speculation === |
| There are two sources testifying as to the existence (at least sometime) of this book. [[Shailendra - books missing in list (source document)|Shailendra]] has it as one of a number of books of Osho's Hindi letters missing from the wiki. He says there are 100 letters. | | There are two sources testifying as to the existence (at least sometime) of this book. [[Shailendra - books missing in list (source document)|Shailendra]] has it as one of a number of books of Osho's Hindi letters missing from the wiki. He says there are 100 letters. |
Line 76: |
Line 6: |
| And that's all there is for now! -- doofus-9 06:44, 20 January 2017 (UTC) | | And that's all there is for now! -- doofus-9 06:44, 20 January 2017 (UTC) |
| ---- | | ---- |
| Rest titles from TOC of Shailendra's e-book:
| | Place Bombay for events based on guess.--DhyanAntar 11:49, 26 March 2021 (UTC) |
| | |
| <pre>
| |
| 31/ प्रकाश-किरण से सूर्य की ओर
| |
| 32/ सुवास--आंतरिक निकटता की
| |
| 33/ ध्यान की सरलता--निःसंशय, निर्णायक व संकल्पवान चित्त के लिए
| |
| 34/ अदृश्य, अरूप, निराकार की खोज
| |
| 35/ आनंदमग्न भाव से नाचती, गाती, निर्भार चेतना का ही ध्यान में प्रवेश
| |
| 36/ शून्य, शांत व मौन में--वर्षा अनुकंपा की
| |
| 37/ चमत्कार--‘न-होने’ पर भी ‘होने’ का
| |
| 38/ असार्थक की अग्नि-परीक्षा
| |
| 39/ श्रद्धा के दुर्लभ अंकुर
| |
| 40/ ध्यान में प्रभु--इच्छा का उदघाटन
| |
| 41/ प्रतीक्षा में ही राज है परम उपलब्धि का
| |
| 42/ स्वयं को तैयार करना--श्रद्धा से, शांति से, संकल्प से
| |
| 43/ अभिशाप में भी वरदान खोजो
| |
| 44/ अवलोकन--वृत्तियों की उत्पत्ति, विकास व विसर्जन का
| |
| 45/ सिद्धांत--क्रांति का अंत है
| |
| 46/ प्रतिक्रियावादी तथाकथित क्रांतिकारी
| |
| 47/ सत्ता सदा ही क्रांति विरोधी है
| |
| 48/ ध्यान है--द्रष्टा, अकर्ता, अभोक्ता रह जाना
| |
| 49/ समग्र जिज्ञासा में प्रश्न का गिर जाना
| |
| 50/ खोना ही ‘उसे’ खोजने की विधि है
| |
| 51/ धैर्यपूर्वक पोषण--क्रांति के गर्भाधान का
| |
| 52/ आत्म-विश्वास से खटखटाओ--प्रभु के द्वार को
| |
| 53/ अनजाना समर्पण
| |
| 54/ तुम्हारी समस्त संभावनाएं मेरे समक्ष साकार हैं
| |
| 55/ सूक्ष्म और अदृश्य कार्य
| |
| 56/ प्रभु-मंदिर की झलकें--ध्यान के द्वार पर
| |
| 57/ अनुभूति में बुद्धि के प्रयास बाधक
| |
| 58/ कामना दुख है, क्योंकि कामना दुष्पूर है
| |
| 59/ प्रभु-कृपा की अमृत वर्षा और हृदय का उलटा पात्र
| |
| 60/ जन्मों का पुराना--विस्मृत परिचय
| |
| 61/ आनंद के आंसुओं से परिचय
| |
| 62/ प्रभु-प्रेम को पागल मानने वाले लोगों से
| |
| 63/ हृदय है अंतर्द्वार--प्रभु-मंदिर का
| |
| 64/ पात्रता का बोध--सबसे बड़ी अपात्रता
| |
| 65/ प्रमाद है भ्रूण-हत्या--विराट संभावनाओं की
| |
| 66/ चाह और अपेक्षा हैं जननी दुख की
| |
| 67/ रूपांतरण के पूर्व की कसौटियां
| |
| 68/ ज्ञानी का शरीर भी मंदिर हो जाता है
| |
| 69/ भेद है अज्ञान में
| |
| 70/ जीवन सत्य की ओर केवल मौन इशारे संभव
| |
| 71/ स्वयं रूपांतरण से गुजर कर ही समझ सकोगी
| |
| 72/ ज्ञान की गति है--अनूठी, सूक्ष्म और बेबूझ
| |
| 73/ शुभ आशीषों की शीतल छाया में
| |
| 74/ ऊर्जा-जागरण से देह-शून्यता
| |
| 75/ संन्यास है--मन से मनातीत में यात्रा
| |
| 76/ ध्यान--रूपांतरण की विधायक खोज
| |
| 77/ द्वंद्व अज्ञान में ही है
| |
| 78/ काम-ऊर्जा का रूपांतरण--संभोग में साक्षीत्व से
| |
| 79/ आत्म-सृजन का श्रम करो
| |
| 80/ मन का भिखमंगापन
| |
| 81/ स्वयं का मिटना ही एकमात्र तप है
| |
| 82/ वही दे सकते हैं--जो कि हम हैं
| |
| 83/ स्वर्ग और नरक--एक ही तथ्य के दो छोर
| |
| 84/ अधैर्य से साधना में विलंब
| |
| 85/ नासमझदारों की समझ
| |
| 86/ आदमी ऐसा ही जीता है--तिरछा-तिरछा
| |
| 87/ समग्रता से किया गया कोई भी कर्म अतिक्रमण बन जाता है
| |
| 88/ चाह से मुक्ति ही मोक्ष है
| |
| 89/ अंतर-अभीप्सा ही निर्णायक है
| |
| 90/ सत्य की खोजः लंबी यात्रा, अशेष यात्री
| |
| 91/ अज्ञात को ज्ञात से समझने की असफल चेष्टा
| |
| 92/ हर पल जीता हूं पूरा
| |
| 93/ जिंदगी तर्क और गणित से बहुत अधिक है
| |
| 94/ जीवन की धन्यता है--अभिव्यक्ति में--स्वयं की, स्वधर्म की
| |
| 95/ सम-चित्त में अद्वैत स्वरूप का बोध
| |
| 96/ संकल्प पूर्ण हुआ कि शून्य हुआ
| |
| 97/ साक्षी की प्रत्यभिज्ञा (रिकग्निशन) ही ध्यान है
| |
| 98/ साधन के मार्ग पर शत्रु भी मित्र है
| |
| 99/ शांत साक्षीभाव में ही डूब
| |
| 100/ आदमी की कुशलता--वरदानों को भी अभिशाप में बदलने की
| |
| 101/ गहरा खेल शब्दों का
| |
| 102/ पवित्र प्रार्थना--आंसुओं में नहाई
| |
| 103/ पीड़ा को भी उत्सव बना लेने की कला
| |
| 104/ वही है, वही है--सब ओर वही है
| |
| 105/ संकल्प के पंख--साधना में उड़ान
| |
| 106/ मुझसे मिलने की निकटतम द्वार--गहरा ध्यान
| |
| 107/ अंतः संन्यास का संकल्प
| |
| 108/ क्रोध के दर्शन से क्रोध की ऊर्जा का रूपांतरण
| |
| 109/ स्वरहीन-संगीत में डूबो
| |
| 110/ समष्टि को बांट दिया ध्यान ही समाधि बन जाता है
| |
| 111/ प्रभु द्वार पर हुई देर भी शुभ है
| |
| 112/ समझ (अंडरस्टैंडिंग) ही मुक्ति है
| |
| 113/ संन्यास--रूपांतरण की कमियां
| |
| 114/ उसका होना ही उसका ज्ञान भी है
| |
| 115/ जागे बिना सत्य से परिचय नहीं
| |
| 116/ साधना को तो सिद्धि तक पहुंचाना ही है
| |
| 117/ सदा स्मरण रखें--जीवन है एक खेल
| |
| 118/ साहस--अज्ञात में छलांग का
| |
| 119/ जिन खोजा तिन पाइयां
| |
| 120/ अथक श्रम--और परीक्षा धैर्य की
| |
| 121/ जीवन को उत्सव बना लेने की कला संन्यास है
| |
| 122/ प्रभु-पथ से लौटना नहीं है
| |
| 123/ स्वयं को खोकर ही पा सकोगे सर्व को
| |
| 124/ शून्य में नृत्य और स्वरहीन संगीत
| |
| 125/ ‘न-करना’ है करने की अंतिम अवस्था
| |
| 126/ अहंकार की सीमा
| |
| 127/ स्वयं को समझो
| |
| 128/ एकमात्र यात्रा--अंतस की
| |
| 129/ पर करो--कुछ तो करो
| |
| 130/ पहले समझो ही
| |
| 131/ अति सूक्ष्म हैं--अहंकार के रास्ते
| |
| 132/ अपनी चिंता पर्याप्त है
| |
| 133/ फूल, कांटे और साधना
| |
| 134/ जीवन है एक चुनौती
| |
| 135/ छलांग--बाहर--शरीर के, संसार के, समय के
| |
| 136/ स्वयं की खोज ही संन्यास है
| |
| 137/ पागल होने की विधि है यह--लेकिन प्रज्ञा में
| |
| 138/ प्रभु-प्रकाश की पहली किरण
| |
| 139/ अस्वस्थता को भी अवसर बना लो
| |
| 140/ दिन-रात की धूप-छांव में स्वयं को भूल मत जाना
| |
| 141/ नियति का बोध परम आनंद है
| |
| 142/ स्वनिर्मित कारागृहों में कैद आदमी
| |
| 143/ समय रहते जाग जाना आवश्यक है
| |
| 144/ अमूर्च्छा का आक्रमण--मूर्च्छा पर
| |
| 145/ कुछ भी हो--ध्यान को नहीं रोकना है
| |
| 146/ देखो स्थिति और हो जाने दो समर्पण
| |
| 147/ नाचो--गाओ और प्रभु की धुन में डूबो
| |
| 148/ आनंद है महामंत्र
| |
| 149/ जीवन नृत्य है
| |
| 150/ पद घुंघरू बांध
| |
| </pre>
| |
| | |
| --DhyanAntar 18:03, 27 September 2018 (UTC) | |