Tantra Aur Antas-Sharir (तंत्र और अंतस-शरीर): Difference between revisions

From The Sannyas Wiki
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
(TOC)
Line 4: Line 4:
notes =Previously published as ''[[Tantra-Sutra, Bhag 3 (तंत्र-सूत्र, भाग तीन)]]''. See ''[[Tantra-Sutra (तंत्र-सूत्र) (series)]]'' for other vols. |
notes =Previously published as ''[[Tantra-Sutra, Bhag 3 (तंत्र-सूत्र, भाग तीन)]]''. See ''[[Tantra-Sutra (तंत्र-सूत्र) (series)]]'' for other vols. |
period =Dec 8-17, 1972 | year=1972 |
period =Dec 8-17, 1972 | year=1972 |
nofd =8 (numbered 17-24) |
nofd =8 (numbered 17-24)   ([[#table of contents|see table of contents]]) |
editions =
editions =
{{bookedition|Tantra Aur Antas-Sharir cover.jpg|विज्ञान भैरव तंत्र : तीसरा खंड (Vigyan Bhairav Tantra: 3 Khand)|1998
{{bookedition|Tantra Aur Antas-Sharir cover.jpg|विज्ञान भैरव तंत्र : तीसरा खंड (Vigyan Bhairav Tantra: 3 Khand)|1998
Line 16: Line 16:
language = Hindi|
language = Hindi|
}}
}}
== table of contents  ==
{| class = "wikitable"
{{TOCTable | edition 2014 | discourses }}
{{TOCLine | 17 | अचानक रुकने की कुछ विधियां
:25. रुक जाओ!<br>26. कामना का साक्षात्कार करो<br>27. अपने को थका डालो और जमीन पर गिर पड़ो | [[Vigyan Bhairav Tantra Vol 1 ~ 17 | 8 Dec 1972 pm]] | Woodlands, [[wikipedia:Mumbai |Bombay]] | 1h 37min | audio }}
{{TOCLine | 18 | प्रामाणिक होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है
:1. क्या अभिव्यक्ति की उन्मुक्तता प्रामाणिक होने की ओर एक कदम है?<br>2. काम-क्रोध आदि पर ध्यान देने से बेचैनी-सी क्यों होती है?<br>3. भावावेग में मूर्च्छा पकड़ती है, तो रुकें कैसे?<br>4. क्या दीक्षा और गुरु-कृपा विधियों से अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं हैं? | [[Vigyan Bhairav Tantra Vol 1 ~ 18 | 9 Dec 1972 pm]] | Woodlands, [[wikipedia:Mumbai |Bombay]] | 1h 30min | audio }}
{{TOCLine | 19 | भक्ति मुक्त करती है
:28. कल्पना करो कि तुम सारी शक्ति खो चुके हो<br>29. भक्ति में डूब जाओ | [[Vigyan Bhairav Tantra Vol 1 ~ 19 | 12 Dec 1972 pm]] | Woodlands, [[wikipedia:Mumbai |Bombay]] | 1h 38min | audio }}
{{TOCLine | 20 | शरीर और तंत्र, आसक्ति और प्रेम
:1. क्या प्रेम में सातत्य जरूरी है? और प्रेम कब भक्ति बनता है?<br>2. तंत्र शरीर को इतना महत्त्व क्यों देता है?<br>3. कृपया हमें आसक्ति और स्वतंत्रता के संबंध में कुछ कहें। | [[Vigyan Bhairav Tantra Vol 1 ~ 20 | 13 Dec 1972 pm]] | Woodlands, [[wikipedia:Mumbai |Bombay]] | 1h 22min | audio }}
{{TOCLine | 21 | अंतर्यात्रा में आंख के उपयोग
:30. आंखों को बंद करके उन्हें स्थिर रखो<br>31. किसी विषय को अखंड की भांति देखो<br>32. किसी विषय को ऐसे देखो जैसे पहली बार देख रहे हो | [[Vigyan Bhairav Tantra Vol 1 ~ 21 | 14 Dec 1972 pm]] | Woodlands, [[wikipedia:Mumbai |Bombay]] | 1h 30min | audio }}
{{TOCLine | 22 | तीसरी आंख और सिद्धियां
:1. देखने की विधियां तीसरी आंख को कैसे प्रभावित करती हैं?<br>2. सम्मोहन विद्याओं में लगे लोगों की आंखें डरावनी क्यों होती हैं?<br>3. आंखों की गति रोकने से मानसिक तनाव क्यों होता है? | [[Vigyan Bhairav Tantra Vol 1 ~ 22 | 15 Dec 1972 pm]] | Woodlands, [[wikipedia:Mumbai |Bombay]] | 1h 30min | audio }}
{{TOCLine | 23 | शांति और मुक्ति के चार प्रयोग
:33. अनंत आकाश को देखो<br>34. एक गुह्म विधि<br>35. किसी गहरे कुएं में झांको<br>36. अपने को पूरी तरह हटा लो | [[Vigyan Bhairav Tantra Vol 1 ~ 23 | 16 Dec 1972 pm]] | Woodlands, [[wikipedia:Mumbai |Bombay]] | 1h 28min | audio }}
{{TOCLine | 24 | संदेह और श्रद्धा, मृत्यु और जीवन
:1. क्या मिश्रित ढंग के व्यक्ति को दो भिन्न-भिन्न विधियां करनी चाहिए?<br>2. जीवन-स्वीकार की दृष्टि रखने वाले तंत्र में मृत्यु-दर्शन का कैसे उपयोग हो सकता है?<br>3. शरीर के मृतवत होने से मन का रूपांतरण कैसे संभव है? | [[Vigyan Bhairav Tantra Vol 1 ~ 24 | 17 Dec 1972 pm]] | Woodlands, [[wikipedia:Mumbai |Bombay]] | 1h 38min | audio }}
|}


[[category:Meditation (hi:ध्यान)]]
[[category:Meditation (hi:ध्यान)]]
[[category:Translations from English (hi:अंग्रेजी से अनुवाद)]]
[[category:Translations from English (hi:अंग्रेजी से अनुवाद)]]

Revision as of 06:15, 3 March 2020


translated from
English: Vigyan Bhairav Tantra, First Series (ch.17-24)
notes
Previously published as Tantra-Sutra, Bhag 3 (तंत्र-सूत्र, भाग तीन). See Tantra-Sutra (तंत्र-सूत्र) (series) for other vols.
time period of Osho's original talks/writings
Dec 8-17, 1972 : timeline
number of discourses/chapters
8 (numbered 17-24)   (see table of contents)


editions

Tantra Aur Antas-Sharir (तंत्र और अंतस-शरीर)

विज्ञान भैरव तंत्र : तीसरा खंड (Vigyan Bhairav Tantra: 3 Khand)

Year of publication : 1998
Reprint: 2005
Publisher : Hind Pocket Books
ISBN 8121607108 (click ISBN to buy online)
Number of pages :
Hardcover / Paperback / Ebook : P
Edition notes :

table of contents

edition 2014
chapter titles
discourses
event location duration media
17 अचानक रुकने की कुछ विधियां
25. रुक जाओ!
26. कामना का साक्षात्कार करो
27. अपने को थका डालो और जमीन पर गिर पड़ो
8 Dec 1972 pm Woodlands, Bombay 1h 37min audio
18 प्रामाणिक होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है
1. क्या अभिव्यक्ति की उन्मुक्तता प्रामाणिक होने की ओर एक कदम है?
2. काम-क्रोध आदि पर ध्यान देने से बेचैनी-सी क्यों होती है?
3. भावावेग में मूर्च्छा पकड़ती है, तो रुकें कैसे?
4. क्या दीक्षा और गुरु-कृपा विधियों से अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं हैं?
9 Dec 1972 pm Woodlands, Bombay 1h 30min audio
19 भक्ति मुक्त करती है
28. कल्पना करो कि तुम सारी शक्ति खो चुके हो
29. भक्ति में डूब जाओ
12 Dec 1972 pm Woodlands, Bombay 1h 38min audio
20 शरीर और तंत्र, आसक्ति और प्रेम
1. क्या प्रेम में सातत्य जरूरी है? और प्रेम कब भक्ति बनता है?
2. तंत्र शरीर को इतना महत्त्व क्यों देता है?
3. कृपया हमें आसक्ति और स्वतंत्रता के संबंध में कुछ कहें।
13 Dec 1972 pm Woodlands, Bombay 1h 22min audio
21 अंतर्यात्रा में आंख के उपयोग
30. आंखों को बंद करके उन्हें स्थिर रखो
31. किसी विषय को अखंड की भांति देखो
32. किसी विषय को ऐसे देखो जैसे पहली बार देख रहे हो
14 Dec 1972 pm Woodlands, Bombay 1h 30min audio
22 तीसरी आंख और सिद्धियां
1. देखने की विधियां तीसरी आंख को कैसे प्रभावित करती हैं?
2. सम्मोहन विद्याओं में लगे लोगों की आंखें डरावनी क्यों होती हैं?
3. आंखों की गति रोकने से मानसिक तनाव क्यों होता है?
15 Dec 1972 pm Woodlands, Bombay 1h 30min audio
23 शांति और मुक्ति के चार प्रयोग
33. अनंत आकाश को देखो
34. एक गुह्म विधि
35. किसी गहरे कुएं में झांको
36. अपने को पूरी तरह हटा लो
16 Dec 1972 pm Woodlands, Bombay 1h 28min audio
24 संदेह और श्रद्धा, मृत्यु और जीवन
1. क्या मिश्रित ढंग के व्यक्ति को दो भिन्न-भिन्न विधियां करनी चाहिए?
2. जीवन-स्वीकार की दृष्टि रखने वाले तंत्र में मृत्यु-दर्शन का कैसे उपयोग हो सकता है?
3. शरीर के मृतवत होने से मन का रूपांतरण कैसे संभव है?
17 Dec 1972 pm Woodlands, Bombay 1h 38min audio