Samund Samana Bund Mein (समुंद समाना बुंद में): Difference between revisions
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:ओशो कहते हैं : ‘जीवन की कला जागने की कला से उपलब्ध होती है। अवेकनिंग, अवेयरनेस, होश मिल जाए, प्राण पूरे जाग कर जीवन को अनुभव करने लगें, तो प्रतिक्षण प्रभु के दर्शन शुरू हो जाते हैं, प्रतिपल उसका संगीत सुनाई पड़ने लगता है, और कण-कण में उसकी मूर्ति उपलब्ध होने लगती है, सारा जीवन एक अमृतमय तरंगों में परिवर्तित हो जाता है।’ | |||
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Revision as of 14:58, 21 April 2014
- इस पेपरबैक पुस्तिका में ओशो ने धर्म, नीति, सत्यम् शिवम् सुंदरम्, जीवन की कला, नई दृष्टि का जन्म, भारत का दुर्भाग्य, भारत का भविष्य आदि गूढ़ विषयों पर अपनी अंतर्दृष्टि दी है। मानव जीवन के प्रत्येक आयाम को छूता, ओशो की देशना का विराट सागर, इस पुस्तिका में लघु रूप में समाया हुआ है।
- ओशो कहते हैं : ‘जीवन की कला जागने की कला से उपलब्ध होती है। अवेकनिंग, अवेयरनेस, होश मिल जाए, प्राण पूरे जाग कर जीवन को अनुभव करने लगें, तो प्रतिक्षण प्रभु के दर्शन शुरू हो जाते हैं, प्रतिपल उसका संगीत सुनाई पड़ने लगता है, और कण-कण में उसकी मूर्ति उपलब्ध होने लगती है, सारा जीवन एक अमृतमय तरंगों में परिवर्तित हो जाता है।’
- notes
- Title apparently a saying of Kabir, about the ocean disappearing in the drop. See discussion for TOC.
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
- 7
editions
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