Samadhi Ke Dwar Par (समाधि के द्वार पर): Difference between revisions
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Revision as of 07:25, 8 May 2017
- जैसे अंधेरे में कोई अचानक दीये को जला दे, और जहां कुछ भी दिखाई न पड़ता हो वहां सभी कुछ दिखाई न पड़ने लगे, ऐसे ही जीवन के अंधकार में समाधि का दीया है। या जैसे कोई मरुस्थल में वर्षों से वर्षा न हुई हो और धरती के प्राण पानी के लिए प्यास से लड़पते हों, और फिर अचानक मेघ घिर जाएं और वर्षा की बूंदें पड़ने लगें, तो जैसा उस मरुस्थल में समाधि की वर्षा है। या जैसे कोई मरा हुआ अचानक जीवित हो जाए, और जहां श्वास न चलती हो वहां श्वास चलने लगे, और जहां आंखें न खुलती हों वहां आंखें खुल जाएं, और जहां जीवन तिरोहीत हो गया था वहां वापस उसके पदचाप सुनाई पड़ने लगें, ऐसा ही मरे हुए जीवन में समाधि का आगमन है।
- समाधि से ज्यादा महत्वपूर्ण जीवन में कुछ भी नहीं है। न तो कोई आंनद मिल सकता है समाधि के बिना, न कोई शांति मिल सकती है, न कोई सत्य मिल सकता है।
- notes
- Talks given possibly at an early meditation camp. Audio is available. See discussion for a TOC.
- time period of Osho's original talks/writings
- unknown : timeline
- number of discourses/chapters
- 6
editions
Samadhi Ke Dwar Par (समाधि के द्वार पर)
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