प्यारी सोहन,
प्रेम। मैं १ अप्रैल को नासिक बोल रहा हूँ। २ अप्रैल को १२ बजे वहां से पूना के लिए कार से निकलूंगा। पूना से कार आयेगी। तू उसमे मुझे लेने आनाना। १ अप्रैल की रात्रि ही तू आजावे तो और भी अच्छा है। श्री० पुंगलिया के लिए एक पत्र साथ में हैं, सो उन्हें भेज देना। थोड़ी ही देर में कल्याण आजावेगा और मैं वहां तेरी प्रतीक्षा करूँगा। तेरे वहां होने की कोई भी आशा नहीं है फिर भी जीवन में चमत्कार भी तो होते ही है ! माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष। यह ध्यान रखना कि पूना में ज्यादा कार्यक्रम न रखे जावें।