Kathopanishad (कठोपनिषद)

From The Sannyas Wiki
Revision as of 03:45, 22 November 2014 by Sarlo (talk | contribs)
Jump to navigation Jump to search


ध्यान साधना शिविर, माउंट आबू में हुई प्रवचनमाला के अंतर्गत ओशो द्वारा नचिकेता यमराज के अनूठे संवाद कठोपनिषद पर दिए गए सत्रह प्रवचन।
'मृत्यु, जिसे हम जीवन का अंत समझते हैं, उसी की चर्चा से प्रारंभ होता है यह कठोपनिषद। एक छोटे से बच्चे नचिकेता के निर्मल ‍‍हृदय की व्यथा जो क्रुद्ध पिता ‍के वचनों को स्वीकार करता है और अपने संकल्प के कारण मृत्यु से भी तीन वर अर्जित कर लेता है। एक प्रतीक के रूप में यह कथा प्रत्येक मनुष्य के सौभाग्य की कथा है जिसे ओशो ने अग्नि-विद्या के रूप में ‍हमें दिया है। ओशो कहते हैः ‘यम ने जो नचिकेता को कहा था, वही मैंने आपको कहा है। नचिकेता को जो हुआ, वही आपको भी हो सकता है। लेकिन आपको कुछ करना पड़ेगा, मात्र सुनकर नहीं, उसे जीकर। जो सुना है, उस दिशा में थोड़े प्रयास, थोड़े प्रयत्न, थोड़े कदम उठाकर। बस बैठ न जाएं, सोचने न लगें। जितना हम सोचने में समय गंवाते हैं, उतना प्रयास करने में लगा दें, उतना ध्यान बन जाए, तो मंजिल दूर नहीं है।’
notes
Talks given on Kathopanishad at a meditation camp at Mt Abu in 1973. See discussion for a TOC.
Translated into English as The Message Beyond Words.
time period of Osho's original talks/writings
Oct 6, 1973 to Oct 13 or 14, 1973 ** : timeline
number of discourses/chapters
17


editions

Kathopanishad (कठोपनिषद)

Year of publication : 2002
Second edition : 2010
Publisher : Rebel Publishing House, India
ISBN 8172611544 (click ISBN to buy online)
Number of pages : 404
Hardcover / Paperback / Ebook : H
Edition notes :