Samadhi Ke Sapt Dwar (समाधि के सप्त द्वार)
- इस जगत में जो भी जान लिया जाता है, वह कभी खोता नहीं है। ज्ञान के खोने का कोई उपाय नहीं है। न केवल शास्त्रों में संरक्षित हो जाता है ज्ञान, वरन् और भी गुहय तलों पर ज्ञान की सुरक्षा और संहिता निर्मित होती है। शास्त्र तो खो सकते हैं; और अगर सत्य शास्त्र में ही हो, तो शाश्वत नहीं हो सकता। शास्त्र तो स्वयं ही क्षणभंगुर है। इसलिए शास्त्र संहिताएं नहीं हैं। इस बात को ठीक से समझ लेना जरूरी है, तभी ब्लावट्स्की की यह सूत्र-पुस्तिका समझ में आ सकेगी।
- notes
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
- 17
editions
Samadhi Ke Sapt Dwar (समाधि के सप्त द्वार)
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