Satya Ki Pahli Kiran (सत्य की पहली किरण)
- इस पुस्तक में ओशो ने करुणा और क्रांति के मौलिक संबंध को दर्शाया है। वे कहते हैं, “अगर करुणा आ जाए तो क्रांति अनिवार्य है। क्रांति सिर्फ करुणा की परिधि, छाया से ज्यादा नहीं है।। और जो क्रांति करुणा के बिना आयेगी, बहुत खतरनाक होगी। ऐसी बहुत-सी क्रांतियां हो चुकी हैं और वे जिस बीमारियों को दूर करती है, उनसे बड़ी बीमारियों को अपने पीछे छोड़ जाती है।”
- notes
- Talks given in Ghatkopar, a neighbourhood of Greater Mumbai. See discussion for TOC and other interesting stuff
- time period of Osho's original talks/writings
- Aug 12, 1967 to Aug 15, 1967 : timeline
- number of discourses/chapters
- 7**
editions
Satya Ki Pahli Kiran (सत्य की पहली किरण)
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