Jeevan Sangeet (जीवन संगीत)

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जो वीणा से संगीत के पैदा होने का नियम है, वही जीवन-वीणा से संगीत पैदा होने का नियम भी है। जीवन-वीणा की भी एक ऐसी अवस्था है, जब न तो उत्तेजना इस तरफ होती है, न उस तरफ। न खिंचाव इस तरफ होता है, न उस तरफ। और तार मध्य में होते हैं। तब न दुख होता है, न सुख होता है। क्योंकि सुख एक खिंचाव है, दुख एक खिंचाव है। और तार जीवन के मध्य में होते हैं--सुख और दुख दोनों के पार होते हैं। वहीं वह जाना जाता है जो आत्मा है, जो जीवन है, जो आनंद है।
आत्मा तो निश्र्चित ही दोनों के अतीत है। और जब तक हम दोनों के अतीत आंख को नहीं ले जाते, तब तक आत्मा का हमें कोई अनुभव नहीं होगा।
~ ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
क्या आप दूसरों की आंखों में अपनी परछाईं देख कर जीते हैं?
क्या आप सपनों में जीते हैं?
हमारे सुख के सारे उपाय कहीं दुख को भुलाने के मार्ग ही तो नहीं हैं?
प्रेम से ज्यादा पवित्र और क्या है?
क्या आप भीतर से अमीर हैं?
जीवन का अर्थ क्या है?
notes
Talks given possibly at an early meditation camp. Audio is available. See discussion for a TOC and other infobits.
time period of Osho's original talks/writings
(unknown)
number of discourses/chapters
10


editions

Jeevan Sangeet (जीवन संगीत)

Year of publication : 2011
Publisher : Diamond Books
ISBN 9798171825295 (click ISBN to buy online)
Number of pages : 136
Hardcover / Paperback / Ebook : P
Edition notes : **

Jeevan Sangeet (जीवन संगीत)

ध्यान साधना पर प्रवचन (Dhyan Sadhana Par Pravachan)

Year of publication : 2012
Publisher : The Rebel Publishing House, Pune, India
ISBN 978-81-7261-275-7 (click ISBN to buy online)
Number of pages :
Hardcover / Paperback / Ebook : H
Edition notes : **
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