प्यारी मौनू,
प्रेम। थ्योडोर रेक ने अपने बचपन में सुनी कहानी स्मरण की है।
एक ग्रामीण बूढ़ा मर गया था।
उसके बेटे ने अपने स्वर्गीय पिता का चित्र बनवाना चाहा, इसलिये वह शहर गया और एक चित्रकार को अपने पिता के चेहरे, आंखों, ओठों, बालों आदि के संबंधमें ब्यौरे से बताया।
चित्रकार ने उसे दो सप्ताह बाद वह चित्र ले जाने को कहा ।
लेकिन, जब दो सप्ताह बाद वह चित्र लेने गया तो चित्र को देखकर जोर-जोर से रोने लगा और बोला: "मेरे गरीब पिता ! इतने ही थोड़े समय में तुम कितने बदल गये हो? (Poor Father! How much have you changed in such a short time ?")
जीवन - सत्यों को बोलते समय मुझे भी यह कहानी बार-बार याद आ जाती है।
सत्य को शब्द दिया नहीं कि मैं कहता हूं अपने से ही: "बेचारा सत्य ! इतने ही थोड़े समय में कितना बदल गया है!"