Shiksha Mein Kranti (शिक्षा में क्रांति)
- आज का मानव समाज, मानव-मन, सम्मोहित है, आतंकित है- हम भटक गये हैं, कोई दिशा बोध नहीं है। इस विघटित समाज, विघटित मन और विघटनकारी शक्तियों के बीच सामंजस्य लाने वाले, भेद से अभेद में लाने वाले, विघटन से संयोजन और योग की भूमिका निर्माण करने वाले-महायोगी ओशो ने एक वैश्विक स्तर पर विद्रोह का सूत्रपात किया और क्रांति की मशाल जलाई! विद्रोह के बाद ही क्रांति संभव है।
- जहां किरणों की कविताएं खिलखिला रही हैं और आस्थाओं की ऋतुएं झिलमिला रही हैं... क्यों न हम भी अपने रीते पड़े ज्योति-कलशों को आकंठ भर लें आज! इन प्रवचनों की अमृत-धारा में प्रवेश करें, डुबकी लगाएं-इनमें बहुत अमूल्य हीरे हैं, जिनसे आप अपने जीवन को जगमगा सकते हैं। लीजिए, पूरी मंजूषा आपके हाथों में है।
- notes
- A compilation of miscellaneous talks given around India in the late 60's, on the subject of education, some having previously appeared as pamphlets. Translated (partly?) into English as Revolution in Education
- time period of Osho's original talks/writings
- from 1967 to 1969 : timeline
- number of discourses/chapters
- 31 **
editions
Shiksha Mein Kranti (शिक्षा में क्रांति)
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Shiksha Mein Kranti (शिक्षा में क्रांति)
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Shiksha Mein Kranti (शिक्षा में क्रांति)मुना सके ते मुने थोड़ी देर और पुकास्टांग और चला जाऊंगा (Muna Sake Te Mune Thori Der Aur Pukastanga Aur Chala Jaonga)**
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