Nahin Sanjh Nahin Bhor (नहीं सांझ नहीं भोर)
- अब तक दुनिया में दो ही तरह के धर्म रहे हैं- ध्यान के और प्रेम के। और वे दोनों अलग-अलग रहे हैं। इसलिए उनमें बड़ा विवाद रहा। क्योंकि वे बड़े विपरीत हैं। उनकी भाषा ही उलटी है।
- ध्यान का मार्ग विजय का, संघर्ष का, संकल्प का। प्रेम का मार्ग हार का, पराजय का, समर्पण का। उनमें मेल कैसे हो?
- इसलिए दुनिया में कभी किसी ने इसकी फिकर नहीं की कि दोनों के बीच मेल भी बिठाया जा सके। मेरा प्रयास यही है कि दोनों में कोई झगड़े की जरूरत नहीं है। एक ही मंदिर में दोनों तरह के लोग हो सकते हैं। उनको भी रास्ता हो, जो नाच कर जाना चाहते हैं। उनको भी रास्ता हो, जो मौन होकर जाना चाहते हैं। अपनी-अपनी रुचि के अनुकूल परमात्मा का रास्ता खोजना चाहिए।
- notes
- Discourses given in Pune on Charandas, an 18th c mystic-poet and guru of Sahajo. See discussion for more on him and a TOC.
- time period of Osho's original talks/writings
- from Sep 11, 1977 to Sep 20, 1977 : timeline
- number of discourses/chapters
- 10
editions
Nahin Sanjh Nahin Bhor (नहीं सांझ नहीं भोर)
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