Das Jeevan-Sutra (दस जीवन-सूत्र): Difference between revisions
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* किसी की आज्ञा कभी मत मानो जब तक कि <br> वह स्वयं को ही आज्ञा न हो | |||
* जीवन के अतिरिक्त और कोई परमात्मा नहीं है | |||
* सत्य स्वयं में है, इसलिए <br> उसे और कहीं मत खोजना | |||
* प्रेम प्रार्थना है | |||
* शून्य होना सत्य का द्वार है । शून्यता हो <br> साधन है, साध्य है, सिद्धि है | |||
* जीवन है -- अभी और यहीं | |||
* जियो और जागे हुए | |||
* तैरो मत -- वही | |||
* मरो प्रतिपल ताकि प्रतिपल नये हो सको | |||
* खोजो मत । जो है --- है । रुको और देखो | |||
Revision as of 18:02, 14 August 2019
Ten maxims for living (Life-Sutras) collected by Sw Yoga Chinmaya and placed in Prem Ke Phool (प्रेम के फूल) before the first letter:
- आचार्यश्री रजनीश द्वारा प्रदत्त दस जीवन-सूत्र
- किसी की आज्ञा कभी मत मानो जब तक कि
वह स्वयं को ही आज्ञा न हो - जीवन के अतिरिक्त और कोई परमात्मा नहीं है
- सत्य स्वयं में है, इसलिए
उसे और कहीं मत खोजना - प्रेम प्रार्थना है
- शून्य होना सत्य का द्वार है । शून्यता हो
साधन है, साध्य है, सिद्धि है - जीवन है -- अभी और यहीं
- जियो और जागे हुए
- तैरो मत -- वही
- मरो प्रतिपल ताकि प्रतिपल नये हो सको
- खोजो मत । जो है --- है । रुको और देखो